...आखिर चंपाई को भाजपा क्यों करना चाहती है अपने पाले में, पूर्व सीएम के भाजपा में शामिल होने पर कितनी बदल जायेगी झारखंड की चुनावी बिसात?

रांची। चंपाई सोरेन के भाजपा ज्वाइन करने को लेकर भाजपा भले ही अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है, लेकिन भाजपा नेताओं की चंपाई सोरेन को लेकर मीठे बोल काफी कुछ बयां कर दे रहे हैं। हिमंता विस्वा सरमा ने सोशल मीडिया हैंडल पर चंपाई सोरेन की तारीफ में कहा है कि झारखंड में JMM-Cong के 5 वर्षों में अगर कोई काम हुआ तो वह सिर्फ़ चंपई सोरेन जी के 6 महीनों के कार्यकाल में हुआ।


अब चंपई जी का फोटो हर विज्ञापन से ग़ायब हो गया। 12 हजार रुपये देने का जो वादा सीएम सोरेन कर रहे हैं वो चंपई सोरेन की देन है. हमारी सरकार आएगी तो हम 5000 रुपये महीने देंगे।

आखिरकार चंपाई सोरेन को लेकर भाजपा का साफ्ट कार्नर क्यों है? भाजपा का चंपाई प्रेम ऐसा नहीं है कि अभी-अभी शुरू हुआ है, जब से चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री पद से हटे हैं, तभी से ही बीजेपी कुछ ज्यादा ही अपनापन उन पर दिखा रही है। इसकी वजह भी है, दरअसल भाजपा एक ऐसे नेता की तलाश झारखंड में कर रही है, जिनका खुद का तो वजूद हो ही, उनकी सर्वमान्य पहचान भी हो।

चंपाई सोरेन में भाजपा को वो संभावनाएं नजर भी आती है। मसलन चंपाई के छह महीने के किये कामों को बीजेपी चुनाव में सामने लाकर सरकार बनने के बाद अपने विजन को जनता के सामने रख सकती है। जाहिर है इसका फायदा पार्टी को हो सकता है।

चंपाई झामुमो के पुराने नेता में से हैं, जो झामुमो की रग-रग से वाकीफ हैं। राज्य में बीजेपी को जीत हासिल करने लिए चंपई सोरेन जैसे एक बड़े चेहरे की जरूरत है जो कोल्हान में बीजेपी को मदद कर सके। हालांकि अर्जुन मुंडा भी कोल्हान से ही आते हैं पर पिछले एक दशक से वो राष्ट्रीय राजनीति में ही रहे हैं।

कोल्हान के अलावा संथाल में भी चंपई सोरेन एक बड़ा नाम है. सोरेन फैक्टर संताल में उन्हें लाभ पहुंचा सकता है. इसलिए बीजेपी को भी यह लगता है कि चंपई सोरेन को साध लेने पर उसके लिए कोल्हान और संताल में वोट पाना आसान हो जाएगा.


इन दोनों ही जगहों पर अगर बीजेपी की सीटें बढ़ जाती है तो पार्टी के लिए झारखंड में जीत की राह आसान हो जाएगी।

दूसरी बात चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर कोल्हान और संथाल परगना में बीजेपी सहानूभिति कार्ड भी खेलकर झामुमो का काट निकाल सकती है।


वैसे भी गाहे बगाहे चंपाई सोरेन के बयानों में मुख्यमंत्री पद से हटने का दर्द झलक जाता ही है, ऐसे में भाजपा को लगता है कि चंपाई के नाराजगी की चिंगारी को वो ज्वाला बनाकर चुनाव में इस्तेमाल करेगी, तो इसका बड़ा फायदा मिल सकता है।

चंपाई ने अभी तक अपने पत्ते तो नहीं खोले हैं, लेकिन चंपाई के भाजपा में शामिल होने की अटकलें इसलिए लग रही है क्योंकि अगले चुनाव में चंपाई को झामुमो किनारे लगाने की जुगत में है। चर्चा है कि चंपाई को संगठन में लाया जायेगा और उन्हें टिकट नहीं दिया जायेगा।

उसके बंदले चंपाई को उनकी पसंद के मुताबिक उनकी सीट पर प्रत्याशी चुनने को कहा जायेगा। ऐसा नहीं है कि सिर्फ चंपाई सोरेन, बल्कि कुछ और भी झामुमो के नेता हैं, जिनके टिकट पर खतरा है। और, वो सभी अपना विकल्प भाजपा में देख रहे हैं।

कुल मिलाकर अभी सियासी उठापटक की सिर्फ अटकलें ही लग रही है। भाजपा ने भी अधिकृत रुप से कुछ नहीं कहा है, तो चंपाई सोरेन ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन भाजपा नेता जिस तरह से दोनों हाथों से चंपाई सोरेन पर प्यार लुटा रहे हैं।


उनके कार्यकाल की तारीफ कर रहे हैं और उनके पक्ष में लगातार बयान दे रहे हैं, उससे साफ है कि कुछ ना कुछ अंदरखाने जरूर चर्चाएं हैं, जिससे लगता है कि चुनाव के पहले चंपई अपना पाला बदल सकते हैं।

आपको याद होगा जेल से बाहर निकलने के बाद हेमंत सोरेन से फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और चंपई सोरेन को इस्तीफा दिला दिया था. इसे लेकर बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने उनसे हमदर्दी जताई थी.


क्योंकि जब चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे हैं तो फिर चंपई को हटाने की क्या जरूरत थी. बीजेपी ने इसे एक मुद्दा बनाया था और कहा था कि सोरेन परिवार सत्ता अपने हाथ में रखना चाहती है. उस वक्त चंपई सोरेन ने भी भारी मन से इस्तीफा दिया था.

हालांकि फिलहाल बीजेपी में शामिल होने के अटकलों को चंपई सोरेन ने खारिज कर दिया है और कहा कि मुझे अभी लंबी पारी खेलनी है।

Aditya
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