JMM का अभेद्य किला, जहां 44 सालों से लोगों का भरोसा सिर्फ आबुआ छाप पर…

पाकुड़: झारखंड का एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र जहां JMM का झंडा 44 सालों से बुलंद हो रही है। इस किले को बीजेपी या अन्य पार्टी अब तक भेद नहीं पाई है। इस बार इस किले के उम्मीदवार के रूप में jmm पार्टी ने सीटिंग विधायक दिनेश मरांडी का टिकट काटकर संथाल क्षेत्र के कद्दावर नेता हेमलाल मुर्मू को मैदान में उतारा है।

कौन है हेमलाल मुर्मू  जिसपर पार्टी ने जताया भरोसा

हेमलाल मुर्मू संथाल क्षेत्र के कद्दावर नेता माने जाते है। Jmm के संस्थापक शिबू सोरेन के साथ राजनीति करने वाले हेमलाल मुर्मू की छवि स्वच्छ मानी जाती है। कई बार उन्होंने  संथाल के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वास्थ्य मंत्री और सांसद तक का नेतृत्व संभाल चुके है।

यही वजह है कि jmm के सीटिंग विधायक दिनेश मरांडी का टिकट काटकर हेमलाल मुर्मू को टिकट पार्टी ने दिया है। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और हेमलाल मुर्मू के बीच चाचा भतीजा का रिश्ता रहा है और आज भी हेमंत सोरेन उसी तरह सम्मान देते है।

अब तक सबसे ज्यादा बार साइमन मरांडी के परिवार ने इस क्षेत्र का jmm पार्टी की तरफ से नेतृत्व संभाला है फिर भी क्षेत्र की जनता का कहना है कि ये विधानसभा अपेक्षित विकास से अबतक मिलो दूर है। क्षेत्र के भ्रमण से भी लिट्टीपाड़ा क्षेत्र के पिछड़ापन की झलक साफ दिखाई देती है।

विकास का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सप्ताह में महज एक दिन सोमवार को लगने वाले हाट पर ही पूरे क्षेत्र के जनता की निगाहें टिकी रहती है जहां आम जनता के जरूरत के सामान की खरीदारी होती है। स्वास्थ्य से लेकर मूलभूत सुविधा का अभाव है।शाम में 6 बजे सुनी सड़के और बंद बाजार इसका गवाह बन जाती है।

पूर्व मंत्री का निधन: विधानसभा चुनाव से पहले इस पार्टी को लगा झटका, फैली शोक की लहर

सूत्र बताते है कि इस क्षेत्र की जनता का भरोसा jmm पार्टी पर है पूर्व के नेतृत्व कर्ता पर नहीं। कुछ हद तक सीटिंग विधायक दिनेश मरांडी के टिकट करने से लोगों की सहानुभूति उनके साथ थी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी उनको समर्थन मिल रहा था।

परंतु दिनेश मरांडी के बीजेपी में शामिल होने की खबर आग के जैसी क्षेत्र में फैली और अब उनके समर्थकों की नाराजगी भी खुल कर सामने आने लगी है। लोगों का कहना है कि यदि बीजेपी में ही मिलना था तो निर्दलीय नामांकन करने की वजह क्या थी और बीजेपी में मिलने के पीछे की राजनीति क्या है।

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