सोरेन पर संकट है या नहीं ? आज आ सकता है फैसला…खिलाफ आया फैसला तो CM सोरेन के पास क्या-क्या हैं विकल्प…क्या कहते हैं राजनीति के ये अंकगणित
रांची। झारखंड की राजनीति पर आज बड़ा फैसला आ सकता है। अटकलों पर गौर करें तो आज किसी भी वक्त राजभवन से चुनाव आयोग की फरमान वाली चिट्ठी मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंच सकती है। जाहिर है वो चिट्ठी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की किस्मत लिखेगी। सोरेन की कुर्सी रहेगी या जायेगी? ये वही चिट्ठी तय करेगी। हालांकि पूरजोर ये संभावना थी कि आज ही शाम तक राजभवन झारखंड की राजनीति में पसरे धुंध को साफ कर सकता है। लेकिन, देर शाम तक जब राजभवन से कोई सुगबुगाहट नहीं हुई तो मान लिया गया कि शुक्रवार को हर विकल्पों पर विचार कर राज्यपाल इस मुद्दे पर निर्णय लेंगे।
आज दोपहर बाद स्थिति पर छाया सस्पेंस खत्म हो सकता है। खबर है कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को लाभ के पद के मामले में दोषी पाया है. अब चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेज दिया है. राज्यपाल अपना फैसला शुक्रवार को सुनाने वाले हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए पिछले साल अपने नाम से खनन का पट्टा आवंटित करा लिया था। इस साल फरवरी में बीजेपी ने जब राज्यपाल से इसकी शिकायत की तो मामले की जांच शुरू हुई। राज्यपाल ने चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट भेजी. फिर चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन से उनका पक्ष पूछा। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद चुनाव आयोग ने 18 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था. जो अब राज्यपाल को भेजा गया है।
राज्यपाल के संभावित निर्णय को लेकर हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन यानी यूपीए में रणनीति तय करने के लिए बैठकों का दौर जारी है. सत्ताधारी गठबंधन के सभी विधायकों को राजधानी में रहने का निर्देश दिया गया है.
हेमंत सोरेन के लिए अगर इस्तीफा देने की नौबत आती है, तो यूपीए के सामने क्या विकल्प होंगे, इसपर मंथन का दौर लगातार जारी है. कानूनी जानकारों से भी सलाह ली जा रही है. सत्ताधारी गठबंधन इस संबंध में सभी संभावित विकल्पों पर रणनीति बनाने में जुटा है.
जानकारों के मुताबिक सबसे पहला विकल्प यह है कि राज्यपाल का फैसला प्रतिकूल होने पर हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाकर त्वरित सुनवाई की गुहार लगा सकते हैं. दूसरा विकल्प यह कि अगर आयोग ने हेमंत सोरेन को आगे चुनाव लड़ने के लिए डिबार न किया हो तो वह इस्तीफा देकर फिर से सरकार बनाने का दावा पेश करके दुबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं, क्योंकि उनके गठबंधन के पास फिलहाल पर्याप्त बहुमत है.
झारखंड में सरकार में बने रहने के लिए 42 विधायकों का संख्या बल जरूरी होता है, जबकि हेमंत सोरेन को माइनस करने के बाद भी मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन के पास 50 का संख्या बल है. तीसरा विकल्प यह कि हेमंत सोरेन के अयोग्य घोषित होने और चुनाव लड़ने से डिबार किये जाने की स्थिति में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, मां रूपी सोरेन या भाभी सीता सोरेन को गठबंधन का नया नेता यानी मुख्यमंत्री चुना जा सकता है.
चौथी संभावना यह कि हेमंत सोरेन के परिवार से इतर पार्टी के किसी वरिष्ठ विधायक को नया नेता चुन लिया जाये. बहरहाल, सबकी निगाहें शुक्रवार को राजभवन से जारी होनेवाले संभावित आदेश पर टिकी हैं.