झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक पर जानिये क्यों मचा है बवाल, क्यों बाबूलाल मरांडी ने कहा, देशद्रोह, पॉक्सो, SC/ST अत्याचार निवारण कानून से भी ज्यादा खतरनाक

रांची। प्रतियोगी परीक्षा में नकल व प्रश्न पत्र लीक को रोकने के लिए लाये जा रहे विधेयक पर सियासी बवाल छिड़ गया है। पिछले दिनों कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधेयक को सदन में पारित किया जाना है। उसे लेकर घमासान छिड़ गया है। बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि वो इस बिल का विरोध करते हैं। पार्टी ऐसे बिल को लेकर पूरजोर तरीके से आवाज उठायेगी।

विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर निशाना साधते हुए इस बिल के खिलाफ सदन से लेकर सड़क तक में आंदोलन करने का एलान किया है। इधर झारखंड सरकार में साझीदार कांग्रेस के विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि इस बिल के अनुसार कदाचार के आरोपियों के खिलाफ जिस तरह के कठोर दंड के प्रावधान किए गए हैं, उसमें बदलाव की जरूरत है। वह इस मुद्दे पर सरकार से बात करेंगे।

बीजेपी और आजसू पार्टी ने बिल की तुलना अंग्रेजी हुकूमत के खौफनाक कानून से की है। झारखंड सरकार इस विधेयक को विधानसभा के चालू मॉनसून सत्र में पास कराने की तैयारी में है। इसके ड्राफ्ट को पिछले दिनों कैबिनेट से मंजूरी दी गई थी। इस विधेयक का नाम 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अधिनियम- 2023' है।

मानसून सत्र के चौथे दिन झारखंड विधानसभा में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जिस तरह से इस बिल में प्रावधान किए गए हैं वह छात्रों के हित में नहीं है। थोड़ी सी चूक की वजह से यदि छात्रों को जेल जाना पड़े यह कहीं से भी उचित नहीं है। सरकार ने इस बिल के माध्यम से कहीं ना कहीं छात्रों की आवाज को बंद करने की कोशिश की है।

भारतीय जनता पार्टी इस बिल का विरोध करेगी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में पार्टी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सरकार 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक- 2023' के नाम पर अंग्रेजों से भी ज्यादा खौफनाक कानून लेकर आई है। इसके प्रावधान देशद्रोह, पॉक्सो, SC/ST अत्याचार निवारण कानून से भी ज्यादा ताकतवर और खतरनाक हैं।

क्यों बढ़ा है विवाद

यह बिल कानून बन गया तो भर्ती परीक्षाओं पर सवाल उठाने वाले अभ्यीर्थियों पर 10 साल तक प्रतिबंध लगेगा। बिल में प्रावधान किया जा रहा है कि किसी भी अधिकारी को किसी भवन, स्थान, जलयान, वायुयान या यान में, जहां उन्हें संदेह होगा, वहां वो प्रवेश कर सकते हैं और तलाशी ले सकते हैं।

इतना ही नहीं, किसी भी ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध एफआईआर के लिए किसी प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं होगी। बिना जांच किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। अगर एक बार 'झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक- 2023' लागू हो जाये तो कोई परीक्षार्थी सरकार के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा सकेगा।

HPBL Desk
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