देखिये स्वास्थ्य मंत्री जी! “3500 दे दो…नहीं तो 2500 दो, चलो 2 हजार में हो जायेगा”… जिन डाक्टरों को आप बांटते हैं लाखों रुपये पगार, वो हॉस्पीटल में कैसे चला रहे हैं लूट का बाजार…

भवनाथपुर। मरीज जिस अस्पताल को मंदिर और जिन डाक्टरों को भगवान का दूत समझकर हॉस्पीटल पहुंचते हैं, हकीकत में उस डाक्टर के सफेद ड्रेस के पीछे एक लालची भेड़िया छुपा होता है। जिन्हें ना तो किसी गरीब के दर्द का अहसास है और ना ही किसी की परेशानी से कोई वास्ता…उनके लिए मजबूर मरीज बस एक एटीएम मशीन है, जिसका इस्तेमाल वो अपनी जेबों को गरम करने में करते हैं। ये शर्मनाक सच्चाई है झारखंड के उस स्वास्थ्य विभाग की है, जहां की व्यवस्था की तारीफ गिनाते अफसर-मंत्री ने नही थकते।

CHC भवनाथपुर में नसबंदी का आपरेशन कराने आयी एक महिला से स्वास्थ्यकर्मियों ने जबरन 2 हजार रुपये वसूल लिये। स्वास्थ्यकर्मी से महिला के परिजन फरियाद करते रह गये, अपनी मजबूरी गिनाते रह गये, लेकिन ना जाने किस पत्थर के बने हैं स्वास्थ्यकर्मी, जिसका दिल नहीं पसीजा, उलटा ये कहते रहे कि 3500 नहीं है तो 2500 दे दो और फिर 2000 रुपये लेकर ही आपरेशन को तैयार हुए। पूरा मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवनाथपुर का है, जहां 6 जनवरी को अस्पताल में निःशुल्क बंध्याकरण ऑपरेशन शिविर लगा था।

लेकिन ये शिविर सिर्फ कहने का निशुल्क था, क्योंकि इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग ने लूट का बाजार लगा रखा था। शिविर में भवनाथपुर व दूर दराज क्षेत्रो से बंध्याकरण के लिए आई महिलाओं के परिजनों से ऑपरेशन के नाम पर जमकर वसूली हुई। जो परिजन अपनी मजबूरी गिनाते, उन्हे ट्यूमर होने और अन्य बीमारी होने की बात कहकर डराया जाता।

केस नम्बर 1

भवनाथपुर सीएचसी में बीते 6 जनवरी को बंध्याकरण के लिए आई असनाबांध टोला निवासी प्रिया देवी पति डबलू राम से तीन हजार रूपये ऑपरेशन के दौरान चिकित्सक द्वारा यह कहते हुए ले लिया गया कि मरीज के पेट में फोड़ा है, यदि समय रहते इसे नही निकाला गया तो बाद में जान की खतरा हो सकती है। इससे मैं डर गया और चिकित्सक द्वारा कहे अनुसार उनके पैंट के जेब में तीन हजार रख दिया।

केस नंबर 2

कांडी थाना क्षेत्र के सड़की निवासी उर्मिला देवी पति अजय साह असनाबांध निवासी अपने मायके आकर सीएचसी मंऔ बंध्याकरण कराने पहुंची थी। सभी जरुरी स्वास्थ्य जाँच के बाद उसे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया, वहाँ ऑपरेशन के दौरान चिकित्सक ने साथ आये उसके पिता फूलचंद साह को बुलाकर कहा कि पहले आपकी बेटी का सिजेरियन ऑपरेशन हो चूका है, मैं रिस्क नही लूंगा बंध्याकरण ऑपरेशन कराना है, तो 5 हजार लगेगा। जब उसके पिता ने पैसा नही होने का हवाला देते हुए चिकित्सक के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाने लगा फिर भी चिकित्सक नही माने आखिरकार किसी तरह फूलचंद साह ने 2 हजार रूपये उस चिकित्सक को दिया तब जाकर चिकित्सक द्वारा ऑपरेशन किया गया।

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केस नंबर 3

सिंघितालि निवासी विकास चौबे ने बताया कि मैं अपनी पत्नी प्रियंका देवी को बंध्याकरण ऑपरेशन के लिए शिविर में ले गया था। वहाँ सभी जरुरी जांच के बाद जब चिकित्सक ऑपरेशन करने लगे तो चिकित्सक द्वारा बीच में ही ऑपरेशन को रोक कर मुझे बुलाकर कहा गया कि आपकी पत्नी के पेट में ट्यूमर है, इसके ऑपरेशन में अलग से पैसा देना होगा। इसके बाद चिकित्सक द्वारा दिये गए कंचन देवी के फोन पे नंबर पर अपने फोन पे के जरिए 2500 सौ रूपये भुगतान किया हूँ।

निःशुल्क बंध्याकरण शिविर में चिकित्सको द्वारा मरीजो से पैसा लिए जाने के सवाल पर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दिनेश सिंह ने कहा कि बीते 6 जनवरी को तीन चार ओटी असिस्टेंट के साथ मैं खुद ऑपरेशन कर रहा था। हो सकता है, किसी ओटी असिस्टेंट ने चिकित्सक बनकर पैसा लिया हो, या सहिया द्वारा पैसा लिया गया हो। मामले की जाँच कर दोषी पर कार्रवाई की जायेगी।

रिपोर्ट नवीन कुमार

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