यौन उत्पीड़न मामले में रेल DIG सहित कई अधिकारी पाए गए दोषी... मुख्यमंत्री के निर्देश पर हुई थी सीआईडी जांच

पटना सीआईडी जांच में डीआईजी रेल एससीआरबी राजीव रंजन एक महिला के शोषण के आरोप में फंसते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर यह जांच हुई थी। जांच में ये आरोप सही साबित हो रही है। राज्य की खुफिया एजेंसी ने आईपीएस अधिकारी के आच्रंवको भी संदिग्ध माना है। सीआईडी ने जांच में राजीव रंजन को पद के दुरुपयोग का भी दोषी माना है। एडीजीपी सीआईडी ने राजीव रंजन को दंडित करने के लिए डीजीपी के यहां फाइल भेज दी है। डीजीपी एसके सिंघल के मंतव्य और रिपोर्ट की समीक्षा के बाद अपर मुख्य सचिव गृह को कार्रवाई का निर्णय लेना है। सूत्रों की मानें तो करीब 400 पेज के जांच रिपोर्ट में ऐसे कई साक्ष्य और तथ्य संलग्न है जिनके आधार पर दोषी आईपीएस अधिकारी पर एफ आई आर दर्ज कराने के साथ ही विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है।

फॉरेंसिक एक्सपर्ट से भी लेनी पड़ी मदद

पद और ताकत के दुरुपयोग कर किसी परिवार को तबाह कर देने वाले इस मामले का सच सामने लाने में फॉरेंसिक एक्सपर्ट की मदद ली गई। सीआईडी ने इस प्रकरण में एक डीएसपी, अगम कुआं के थानेदार, अनुसंधान पदाधिकारी सहित कई पुलिस अफसरों, एक डॉक्टर और बेऊर जेल के अधिकारियों की भी संलिप्तता पाई है। जांच रिपोर्ट में इन सभी के खिलाफ कार्रवाई के लिखा गया है। 6 से अधिक आईपीएस अधिकारी को जांच में शामिल किया गया था। इनमे से एक अधिकारी वर्तमान में डीजी के पद पर हैं जबकि दो एडीजीपी और एक डीआईजी स्तर के अफसर है ।

फेसबुक पर दोस्ती फिर उत्पीड़न

वर्ष 2018 में आईपीएस राजीव रंजन कि हैदराबाद में रह रहे झारखंड की एक महिला से फेसबुक के जरिए दोस्ती हुई। फेसबुक के जरिए हुई दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होती गई। पीड़िता के अनुसार राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की ट्रेनिंग पर गए राजीव रंजन 4 अप्रैल 2018 की शाम एनपीए (नेशनल पुलिस एकेडमी) की कार से वनस्थलीपुरम थाना क्षेत्र स्थित उनके घर पहुंच गए। महिला का आरोप है कि अकेला पाकर उन्होंने उसका यौन उत्पीड़न किया। यौन उत्पीड़न का सिलसिला कई बार जारी रखा। जब महिला राजीव रंजन से दूरी बनानी चाही तो उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर धमकाना शुरू कर दिया।

क्या है पूरा मामला

उत्पीड़न से तंग आकर पीड़िता ने वनस्थलीपुरम थाना में शिकायत पत्र दिया। शिकायत वापस लेने के लिए महिला को पहले धमकाया गया। फिर छोटे भाई के ससुर के जरिए अगम कुआं थाना में 19 जुलाई 2018 को महिला और उसके पति के खिलाफ आईटी एक्ट और रंगदारी 503 /2018 का मामला दर्ज करा दिया। इस मामले में महिला और उसके पति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। महिला का आरोप है कि इस दौरान थाना और अनुमंडल के पुलिस अफसर, जेल अधिकारी और अन्य लोग कानून के हर नियम का उल्लंघन करते रहे। इस मामले में डीआईजी रेल से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

मुख्यमंत्री के संज्ञान लेने पर सामने आया सच

पीड़िता ने राजीव रंजन और उनको मदद करने वाले अधिकारी के खिलाफ दुराचार के बाद मामले को दबाने के लिए बेटे को अगवा करने, पति सहित उसे झूठे केस में फंसा कर जेल भेजने और वहां पर टार्चर करने की शिकायत थाना से लेकर डीजीपी कार्यालय तक की। पीड़िता के भाई ने 11 अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री के यहां शिकायत दर्ज कराई। मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए अगले ही दिन 12 अक्टूबर को डीजीपी को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया। आरोपों की गंभीरता और आईपीएस से जुड़ा मामला होने के कारण इसकी जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को दी गई। इसी बी दुखद हादसे में न्याय के लिए भटकने वाले पीड़िता के भाई की हादसे में मौत हो गई।

क्या हैं अधिकारी का मानना

जांच रिपोर्ट की समीक्षा के बाद आगे की प्रक्रिया की जाती है। इसमें कुछ समय लगता है। रिपोर्ट के आधार पर दंड निर्धारित किया जाएगा- जितेंद्र सिंह गंगवार , एडीजीपी मुख्यालय। इधर अपर मुख्य सचिव गृह ने कहा है की जांच रिपोर्ट की संचिका आते ही दोषी पर कारवाई की जाएगी।

HPBL Desk
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