8 मार्च का पंचांग: राहु काल, तिथि और शुभ-अशुभ मुहूर्त जानिये, आज का पंचांग पढ़िये

रांची: पंचांग का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व है। पंचांग ज्योतिष के पांच अंगों का मेल है। जिसमें तिथि,वार, करण,योग और नक्षत्र का जिक्र होता है। इसकी मदद से हम दिन के हर बेला के शुभ और अशुभ समय का पता लगाते हैं। उसके आधार पर अपने खास कर्मों को इंगित करते हैं।

आज का पंचांग (8 मार्च 2023 दिन बुधवार)

• तिथि (Tithi): प्रतिपदा – 19:46:00 तक
• नक्षत्र (Nakshatra): उत्तरा फाल्गुनी – 28:20:53 तक
• करण (Karna): बालव – 07:02:12 तक, कौलव – 19:46:00 तक
फाल्गुन मास ( Falgun Month) की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 06:09 PM तक उसके बाद प्रतिपदा है । सूर्य – कुंभ राशि में प्रवेश योग-शूल योग 09:19 PM तक, उसके बाद गण्ड योग, करण -बालव 06:59 AM तक, बाद कौलव 07:43 PM तक, बाद तैतिल है, आज का दिन बहुत ही शुभ फलदायक है।

आज का अशुभ मुहूर्त

• दुष्ट मुहूर्त (Dusht Muhurat): 11:52:19 से 12:39:34 तक
• कुलिक (Kulika): 11:52:19 से 12:39:34 तक
• कंटक (Kantaka/Mrityu): 16:35:54 से 17:23:10 तक
• राहु काल (Rahu Kaal): 12:15:56 से 13:44:34 तक
• कालवेला / अर्द्धयाम (Kalavela / Ardhayaam): 07:08:43 से 07:55:59 तक
• यमघण्ट (Yamaghanta): 08:43:15 से 09:30:31 तक
• यमगंड (Yamaganda): 07:50:05 से 09:18:42 तक
• गुलिक काल (Gulika Kaal): 10:47:19 से 12:15:56 तक

8 मार्च का शुभ मुहूर्त

अभिजीत (Abhijit): कोई नहीं
आज का दिशा शूला (Disha Shoola) : उत्तर

पंचांग के पांच अंग तिथि

हिन्दू काल गणना (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार ‘सूर्य रेखांक’ से ‘चन्द्र रेखांक’ को बारह अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है। वह तिथि कहलाती है। एक माह में 30 तिथियां होती हैं। और ये तिथियां 2 पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम – प्रतिपदा (Pratipada), द्वितीया (Dwitiya), तृतीया (Tritiya), चतुर्थी (Chaturthi), पंचमी (Panchami), षष्ठी (Shashthi), सप्तमी (Saptami), अष्टमी (Ashtami), नवमी (Navami), दशमी (Dashami), एकादशी (Ekadashi), द्वादशी (Dwadashi), त्रयोदशी (Trayodashi), चतुर्दशी (Chaturdashi), अमावस्या/पूर्णिमा (Amavasya / Poornima)।

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नक्षत्र
आकाश मंडल में एक तारा समूह को कहा जाता है। 27 नक्षत्र जिसमे होते हैं। और इन 27 नक्षत्रों का स्वामित्व नौ ग्रहों को प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम – कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र।

योग
योग भी नक्षत्र की तरह ही 27 प्रकार के होते हैं। योग सूर्य-चंद्र (Sun-Moon) की विशेष दूरियों की स्थितियों को कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम – शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, विष्कुम्भ, प्रीति, व्याघात, हर्षण, वज्र, आयुष्मान, सौभाग्य, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, सिद्धि, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य।

करण

दो करण 1 तिथि में होते हैं। कुल मिलाकर 11 करण होते हैं। जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं – गर, वणिज, चतुष्पाद, बालव, कौलव, तैतिल, नाग और किस्तुघ्न, बव, विष्टि, शकुनि। करण को भद्रा विष्टि कहते हैं। व शुभ कार्य करना भद्रा में वर्जित माने गए हैं।

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