200 रुपए लीटर बिकने वाली दूध मिल रही 1000 में, जानिए बरसात में क्यों बढ़ जाती है इस दूध की डिमांड, किस बीमारी के लिए है रामबाण
झारखंड : बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियों में सबसे ख़तरनाक है डेंगू। यह एक ऐसा रोग है, जिसका समय पर इलाज शुरू न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। डेंगू के इलाज में लोग घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों का भी सहारा लेते हैं। ऐसे में आपने भी ग़ौर किया होगा कि जब भी डेंगू का प्रभाव बढ़ता है, तब बकरी दूध काफी महंगा हो जाता है।
दरअसल , झारखंड में डेंगू अब महामारी का रूप लेता जा रहा है। इस साल जुलाई से अब तक 435 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से तीन की मौत हो गई है। इससे लोग डरे हुए हैं। डेंगू मरीजों में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए लोग बकरी के दूध का उपयोग करने लगे हैं। ऐसे में तीन महीने पहले 200 रुपए लीटर बिकने वाले बकरी के दूध की कीमत अब 1000 रुपए लीटर पर पहुंच गया है। बकरी का दूध खोजने से भी नहीं मिल पा रहा है। काफी मशक्कत के बाद एक व्यक्ति को 100 से 150 मिलीलीटर तक ही दूध उपलब्ध होता है।
बकरी दूध के फायदे
दरअसल, कहा जाता है कि बकरी का दूध डेंगू में फायदेमंद होता है और इससे डेंगू से रिकवरी में काफी मदद मिलती है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर बकरी के दूध में ऐसा क्या होता है, जिसकी वजह से डेंगू के रोकथाम में मदद मिलती है।
डाइटिशियन अनु सिन्हा के कहा- बकरी के दूध मं े कैसिइन नहीं होता है, जबकि गाय के दूध में होता है। बकरी का दूध गाय की तुलना में पचने में आसान होता है। बकरी के दूध में विटामिन और प्रोटीन ज्यादा और चीनी की मात्रा कम होती है। बकरी का कच्चा दूध वायरल रोगों से उबरने और डेंगू होने पर खून में प्लेटलेट्स में सुधार करने में मदद करता है।
यह पीलिया में भी उपयोगी होता है। यह वजन कम करने, पाचन बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। हमारे शरीर में विषाक्त पदार्थों को जमा होने से भी रोकता है। इसमें सेलेनियम होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है बकरी का दूध जिला सर्विलांस पदाधिकारी सह महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. असद ने कहा-बकरी के दूध में इंफ्रामेलेंटरी एजेंट होते हैं। यह रोग से लड़ने वाले बैक्टीरिया को सक्रिय करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से बढ़ाता है। यह डेंगू के दौरान शरीर में होने वाली पानी की कमी को दूर करता है। यही कारण है कि बीमारी से जल्दी रिकवरी दिखती है।