विधायक प्रदीप यादव यौन शोषण मामले में बुरे फंसे, हाईकोर्ट से मिले झटके के बाद अब क्या बचा है विकल्प, जानिये क्या है पूरा मामला
रांची। विधायक प्रदीप यादव की मुश्किलें बढ़ गयी है। महिला अधिवक्ता के यौन शोषण मामले में हाईकोर्ट ने प्रदीप यादव को राहत देने से इंकार कर दिया है। कांग्रेस नेता प्रदीप यादव ने क्रिमिनल रिवीजन के लिए झारखंड हाई कोर्ट अपील दायर की थी। इस मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए प्रदीप यादव की याचिका खारिज कर दी है। इस मामले में कोर्ट में दोनों पक्षों को सुनने के बाद 17 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
आपको बता दें कि यौन शौषण से जुड़ा मामला 20 अप्रैल 2019 का है जब प्रदीप यादव झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के महासचिव पद पर काबिज थे। उसी दौरान उनकी ही पार्टी की एक महिला नेत्री ने होटल में बुलाकर उनसे छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था। इस पूरे मामले को लेकर उक्त महिला ने साइबर थाना में यौन उत्पीड़न का केस दर्ज करवाया था। पुलिस उस होटल के कमरे को सील भी की थी और फॉरेंसिक जांच भी करवाई थी।
कोर्ट के इस फैसले के बाद अब प्रदीप यादव को निचली अदालत में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा। यौन शोषण से जुड़े मामले में पीड़ित महिला ने देवघर महिला थाना में केस दर्ज कराया था। केस दर्ज करने के बाद इस मामले की सुनवाई दुमका के एमपी-एमएलए कोर्ट में हुई। जबकि विधायक प्रदीप यादव ने झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले में जमानत की गुहार लगाई थी।
विधायक प्रदीप यादव ने दुमका स्पेशल जज की अदालत ने 2 अप्रैल 2022 को उनके डिस्चार्ज पिटीशन को खारिज किए जाने के बाद हाई कोर्ट में चुनौती थी। जबकि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में प्रदीप यादव की क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन को खारिज कर दिया। अदालत के आज के फैसले के बाद विधायक प्रदीप यादव को अब निचली अदालत में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा।