मॉनसून ने दिया धोखा, झारखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी में हेमंत सरकार, किसानों के लिए कर सकती है पैकेज का ऐलान….

रांची: भारतीय मौसम विभाग ने इस बार मानसून के सामान्‍य रहने की उम्‍मीद जताई थी। IMD के पूर्वानुमान के उलट पूर्वी भारत में इस बार अभी तक औसत से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है। झारखंड में अभी तक औसत से काफी कम बारिश हुई है। पिछले 3 द‍िनों से लगातार हो रही बारिश से इस गैप में कुछ कमी आई है। मौसम विभाग ने आने वाले 4-5 दिनों तक अच्‍छी बारिश होने की संभावना जताई है। अभी तक औसत से कम बारिश होने के कारण पूरे सूबे में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इस सीजन में धान की खेती व्‍यापक पैमाने पर की जाती है और इसके लिए पर्याप्‍त मात्रा में पानी की जरूरत होती है। ऐसे में बारिश कम होने की वजह से फिलहाल धान की खेती के रकबे में काफी कमी दर्ज की जा रही है। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीति आयोग की बैठक में भी इस मसले को उठाया था। गौरतलब है कि इस बैठक की अध्‍यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।

प्रदेश में सूखे की हालात का जायजा लेने के लिए झारखंड के कृषि विभाग सर्वे कराया जा रहा है। कृषि विभाग में निदेशक निशा उरांव ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट 18 अगस्‍त तक आ जाएगी। इसके बाद सरकार किसानों के लिए पैकेज की घोषणा करेगी। झारखंड सरकार 2 मोर्चों पर काम करेगी। पहला यह कि किसानों को होने वाले नुकसान को कैसे पूरा किया जाए और सूखे के लिए किस तरह की योजना तैयार की जाए। दूसरा यह कि सूखे की वजह से होने वाले खाद्यान्‍नों की कमी की समस्‍या से कैसे निपटा जाए। उन्‍होंने कहा कि सरकार किसानों की हर संभव मदद करेगी। इससे पहले मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि सर्वे के माध्‍यम से सूखे की स्थिति का आकलन किया जाएगा। साथ ही किसानों की हालत के बारे में भी पता लगाया जाएगा।

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सामान्‍य से काफी कम बारिश


झारखंड में इस मानसून सीजन में अभी तक औसत से काफी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। भारतीय मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में 1 जून से 11 अगस्‍त 2022 तक औसत से काफी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। इस अवधि में सामान्‍य तौर पर 616 मिलीमीटर बारिश होती है। मौजूदा सीजन में इस पीरियड में औसतन अभी तक महज 348.3 मिलीमीटर बारिश ही हुई है। इसका असर झारखंड के विभिन्‍न जिलों में देखा जा रहा है झारखंड में मुख्‍य रूप से धान की पैदावार की जाती है, लेकिन इस मानसून औसत से कम बारिश होने की वजह से अभी तक धान रोपाई के रकबे में काफी कमी दर्ज की गई है।

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