मईया सम्मान राशि 12 हजार या 30 हजार मिलेंगे या नहीं…हेमंत सोरेन के फैसले पर क्या होगा आगे, जारी हुआ नया आदेश
रांची। आगामी कुछ दिनो में राज्य में नई सरकार का गठन होगा और हेमंत सोरेन की सरकार पुरानी योजना पर कई वायदे भी कर चुकी है।मसलन मईया सम्मान योजना की राशि को 1000 से बढ़ाकर 2500 रुपया की जानी हैं। ऐसे में सबकी निगाहें हाइकोर्ट के फैसले की ओर देख रही थी। क्योंकि इन योजना याचिका दायर की गई थी।
मालूम हो कि सिमडेगा निवासी विष्णु साहू द्वारा दायर जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले इस योजना को वोटर को लुभाने के लिए लाया गया ताकि मतदाता ऐसी योजना से लाभान्वित होकर वोट दे।
मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच में हुई. यहां बताते चलें कि दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि चुनाव से पहले सरकार ने वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह की योजना शुरू की है.
मुख्यमंत्री ने दी थी जानकारी
मालूम हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा के इशारे पर इस PIL को दायर करने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है। मंईया सम्मान योजना को लेकर लगायी याचिका को लेकर हेमंत सोरेन ने भाजपा को आड़े हाथों लिया था।
उन्होंने कहा था कि एक तरफ़ हमने मंईयां के चार किश्तें 57 लाख बहनों के खातों में भेज दी है – वहीं भाजपा मंईयां सम्मान बंद करवाने हेतु एड़ी चोटी का जोड़ लगा रही है। अजब बेशर्मी है हाई कोर्ट में मंईयां सम्मान के ख़िलाफ़ किए केस नंबर PIL 5145/2024 सूचीबद्ध है और तानाशाह पूरी ताक़त से इस योजना को बंद करवाने में जुटी हुई है।
वहीं झामुमो ने भी सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर भाजपा पर निशाना साधा था। झामुमो ने अपने पोस्ट में कहा है कि मंईयां सम्मान बंद करवाने की साजिश जारी है तानाशाहों का – आख़िर तानाशाहों को राज्य की बहनों से दिक्कत क्या है ?
क्या है योजना
इस योजना के तहत 18 वर्ष से 50वर्ष की किशोरी और महिलाओं की वर्तमान समय में 1000दिए जा रहे है अर्थात साल के 12 हजार रुपए। हेमंत सरकार की ये घोषणा है और कैबिनेट के प्रस्ताव में पारित किया गया है कि दिसंबर से ये राशि 2500 कर दी जाएगी अर्थात 30 हजार रुपए। अब तक लाभुक के खाते में 4 किस्त आ चुकी है।
इस योजना से काफी संख्या में लाभुक को पैसा मिल रहा है।हाइकोर्ट में याचिका दायर होने से ये संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।अब ये राशि पूर्व की भांति लाभुक की मिलती रहेगी।
चुनाव के बीच हाइकोर्ट का ये फैसला हेमंत सोरेन सरकार की जीत के रूप में देखा जा रहा है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने बहस की.