झारखंड : JPSC अभ्यर्थियों के लिए हैप्पी नहीं होगा न्यू ईयर, चेयरमैन की नियुक्ति में देरी की वजह क्या है!
24 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक हुई. मीटिंग बाद मीडिया ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य वासियों को मैरी क्रिसमस कहा और एडवांस में हैप्पी न्यू ईयर की बधाई भी देते गये.
सरकारी नौकरी की आस लिए बैठे लाखों अभ्यर्थियों को लगा था कि इस वर्ष की संभवत आखिरी कैबिनेट मीटिंग में उनके हिस्से भी कुछ आयेगा लेकिन समापन की ओर बढ़ रहे पुराने साल में सबकुछ अनहैप्पी महसूस कर चुके अभ्यर्थियों को अब आशंका सता रही है कि उनका न्यू ईयर हैप्पी होगा या नहीं.
दरअसल, 2019 में रोजगार के वादे पर सत्ता में आने वाली और 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित करने वाली हेमंत सोरेन सरकार ने बीते मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिसका रास्ता नौकरी वाली मंजिल की ओर जाता हो. दरअसल, अभ्यर्थियों का मुख्य इंतजार जेपीएससी चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर था जिसकी वजह से 1700 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया लटकी पड़ी है.
झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश के बाद यह आस जगी थी कि जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति पर कोई बड़ा निर्णय लिया जायेगा लेकिन, सरकारी व्यवस्था में आस जागने से क्या होगा जब सरकार ही सोई हो.
पांच महीने से खाली है जेपीएससी अध्यक्ष की कुर्सी
गौरतलब है कि 22 अगस्त 2024 से ही जेपीएससी अध्यक्ष का पद खाली है.
माने, 5 महीने से झारखंड में सरकारी नौकरी देने वाली संस्था बिना अध्यक्ष के चल रही है.
22 अगस्त को तात्कालीन चेयरपर्सन डॉ. नीलिमा केरकेट्टा रिटायर हो गयीं. अब 5 महीने बीतने को हैं और आयोग को नया अध्यक्ष नहीं मिला. इसकी वजह से 11वीं जेपीएससी सिविल सेवा, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी और फूड सेफ्टी ऑफिसर सहित अन्य करीब 1700 पदों पर होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया अटकी पड़ी है.
किसी की मुख्य परीक्षा हो गयी तो कोई साक्षात्कार के इंतजार में है. कहीं प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आ चुका है तो किसी में आवेदन भर लिया गया है.
दिलचस्प बात तो यह है कि झारखंड हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भी हेमंत सोरेन सरकार ने जेपीएससी चेयरमैन की नियुक्ति के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाया है. जबकि हाईकोर्ट ने साफ कहा था कि यह काम अविलंब होना चाहिए. अविलंब का मतलब होता है, बिना किसी देरी के लेकिन सरकारी व्यवस्था में देरी की शब्दावली ही नहीं मिलती और जल्दी तो अस्तित्व में नहीं है.
11वीं जेपीएससी सिविल सेवा के अभ्यर्थी परेशान हैं
हम हाईकोर्ट के फैसले, आयोग की मुश्किलों और सरकार की उदासीनता के विषय में बात करेंगे लेकिन पहले यह जान लेते हैं कि जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी से किन पदों पर कितनी बहालियां लंबित हैं.
11वीं से 13वीं जेपीएससी सिविल सेवा के 342 पदों पर होने वाली नियुक्ति के लिए जून 2024 में ही मुख्य परीक्षा ली जा चुकी है. तब आयोग ने कहा था कि 2-4 अगस्त के बीच रिजल्ट जारी करके आगे साक्षात्कार और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन करा लिया जायेगा लेकिन अब तो दिसंबर बीतने को है.
बाल विकास परियोजना पदाधिकारी यानी सीडीपीओ के 64 पदों पर बहाली के लिए जून 2024 में प्रारंभिक परीक्षा ली गयी.
इसकी मुख्य परीक्षा का आयोजन भी किया जा चुका है लेकिन अब तक रिजल्ट नहीं आया. ये बहाली प्रक्रिया जून 2023 में ही शुरू हुई थी. फूड सेफ्टी ऑफिसर के 56 पदों पर बहाली के लिए जून 2023 में ही विज्ञापन आया था. परीक्षा मई 2024 में ली गई लेकिन अब तक रिवाइज्ड ऑनर्स की ही नहीं आया है.
इसके अलावा असिस्टेंट कन्सर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट और फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के लिए जुलाई 2024 में ही अधिसूचना आई थी. आवेदन लिया जा चुका है लेकिन प्रारंभिक परीक्षा तक नहीं ली गयी.
जेपीएससी अध्यक्ष नहीं रहने से लटकीं 1700 नियुक्तियां
कुल मिलाकर देखें तो 13वीं जेपीएससी सिविल सेवा के 342, सीडीपीओ के 64, सिविल जज जूनियर के 138 , फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के 170, फॉरेस्ट असिस्टेंट रेंज ऑफिसर के 78, विश्वविद्यालय अधिकारी के 24, फूड एनालिस्ट के 02, मेडिकल ऑफिसर के 256, फूड सेफ्टी ऑफिसर के 56, डेयरी डायरेक्टर के 01, उच्च शिक्षा निदेशक के 01, प्लस टू प्राचार्य के 39, जिला डेंटल डॉक्टर के 12, यूनानी मेडिकल ऑफिसर के 78, होम्योपैथिक डॉक्टर के 137, आयुर्वेदिक डॉक्टर के 207, मेडिकल कॉलेज शिक्षक के 44, सीनियर डेंटल डॉक्टर के 20 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है.
जेआरएफ और पीएचडी परीक्षा के लिए झारखंड पात्रता परीक्षा का आयोजन करना है. यह सबकुछ लंबित है क्योंकि जेपीएससी का कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है. 5 महीने से यह पद खाली है. सरकार बताती भी नहीं कि देरी की वजह क्या है.
अभ्यर्थियों और यहां तक कि कोर्ट को भी यही बताया जा रहा है कि सबकुछ इन प्रोसेस ही है. इधर, भयभीत अभ्यर्थी यही कह रहे हैं कि, देख रहो हो भाई! कैसे अंग्रेजी बोल-बोल के बात को घुमाया जाता है.
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी तेजी नहीं
गौरतलब है कि 11 दिसंबर को ही झारखंड हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता पवन कुमार शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएन पाठक की पीठ ने राज्य सरकार को कहा था कि अविलंब जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति की जाए क्योंकि यह लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से जुड़ा मसला है.
हाईकोर्ट ने कहा था कि झारखंड एक लोक कल्याणकारी राज्य है. यहां पूर्ण जनादेश वाली सरकार का गठन हो चुका है. मंत्रिमंडल का गठन हो गया. डीजीपी सहित अन्य सभी पड़े पदों पर नियुक्तियां हो रही है तो फिर छात्रों की जिंदगी से जुड़े जेपीएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति में कहां समस्या है.
हाईकोर्ट ने अविलंब नियुक्ति करने को कहा था. हमारे हिसाब से अविलंब का मतलब तो यही होता है कि काम बिना वक्त गंवाए की जाये. हाईकोर्ट के आदेश को 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन, सरकार अब तक नये जेपीएससी अध्यक्ष के नाम पर विचार तक नहीं कर पाई है.
28 नवंबर को हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उसी शाम अधिकारियों के साथ हाईलेवल मीटिंग की थी.
शाम को मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि जनवरी की शुरुआत में ही प्रतियोगी परीक्षाओं का कैलेंडर जारी करेंगे लेकिन हमारा सवाल है कि कैसे?
अब तक जेपीएससी अध्यक्ष का नाम तय नहीं है. पहले की ही करीब दर्जन भर नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है. सरकार की कथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए लेकिन यहां बहुत बड़ा फासला दिखता है.