नीतीश कुमार की जेडीयू ने मणिपुर में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार से समर्थन लिया वापस

बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू ने बुधवार को मणिपुर में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने समर्थन वापस ले लिया. इस फैसले से राजीनितिक हलकों में सियासी तापमान बढ़ गया. मणिपुर में इस समय बीजेपी के एन बीरेन सिंह मुख्यमंत्री हैं. जेडीयू के एकमात्र विधायक अब विपक्ष की बेंच पर बैठेंगे.

हालांकि जेडीयू के समर्थन लेने से बीजेपी सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बीजेपी की सरकार अभी भी स्थिर है. आपको पता ही होगा कि जेडीयू केंद्र और बिहार में बीजेपी की सहयोगी है. ऐसे में मणिपुर से समर्थन वापस लेने को कड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है. आपक

NPP  पहले ही ले चुकी है समर्थन वापस

बता दें कि ये घटनाक्रम कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के कुछ महीनों बाद हुआ है. एनपीपी मेघालय में सत्ता में है. मणिपुर में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 6 सीटें जीती थीं. इनमें से 5 विधायक बीजेपी शामिल हो गए थे. इसके बाद बीजेपी राज्य में और ज्यादा मजबूत हो गई थी.

बीजेपी के हैं 37 विधायक
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 37 विधायक हैं. इसके अलावा उसकी अगुवाई वाली सरकार को नगा पीपुल्स फ्रंट के पांच विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है. कुल मिलाकर 45 विधायक अभी बीजेपी सरकार को समर्थन दे रहे हैं. ये एक बड़ा बहुमत है. मणिपुर की जेडीयू यूनिट के प्रमुख के एस बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर समर्थन वापस लेने की जानकारी दी.

स्पीकर के अधीन हैं मामला
पांचों विधायकों के खिलाफ विधान की दसवीं अनुसूची के तहत मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल के पास है.वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू की बात करें तो साल 2024 के लोकसभा चुनाव में 12 सीटें मिली थीं. वह उन प्रमुख सहयोगियों में से एक है, जिनके समर्थन से भाजपा को इस बार अपनी सीटों की संख्या में गिरावट के बाद केंद्र में  बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने में मदद मिली. भाजपा और जेडीयू बिहार में भी सहयोगी हैं, जहां इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

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