शिक्षा विभाग के अजीबोगरीब कारनामे : बायोमेट्रिक उपस्थिति की भ्रामक रिपोर्ट पर शिक्षकों में उबाल, मृत या सेवा निवृत शिक्षकों को भी ई विद्या वाहिनी में दिखाया जा रहा है अनुपस्थित

रांची । झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा के संयोजक विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद एव् अरुण कुमार दास ने संयुक्त रूप से कहा है कि विगत कई दिनों से विभाग के द्वारा अखबारों के माध्यम से आम जनता में यह भ्रामक खबर आंकड़ों के साथ प्रचारित किया जा रहा है कि ई विद्या वाहिनी एप में राज्य के लगभग 18 से 20 हजार शिक्षक जानबूझ कर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करते हुए विभागीय आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं, जबकि यह आंकड़ा ही पूर्णतया भ्रामक है जिसे निम्नांकित तथ्यों से सहज समझा जा सकता है

  1. ई विद्या वाहिनी पोर्टल में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने हेतु जितने शिक्षकों के मास्टर डाटा सुरक्षित किए गए हैं उनमें से कई शिक्षक मृत या सेवानिवृत हो चुके हैं या फिर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं वैसे शिक्षकों को भी एप में अनुपस्थित दिखाया जा रहा है जो विभाग के लिए हास्यापद है।
  2. प्रतिदिन राज्य के अनेकानेक शिक्षक विभागीय नियमानुसार देय अवकाश जैसे आकस्मिक अवकाश, अर्जित अवकाश, विशेष अवकाश, चिकित्सा अवकाश, मातृत्व अवकाश एवं पितृत्व अवकाश आदि में रहते हैं , वैसे तमाम शिक्षकों को भी पोर्टल में अनुपस्थित दिखाया जाता है ,जो शत प्रतिशत शिक्षकों की प्रतिष्ठा को आम जनता में के समक्ष धूमिल करने उनके विरुद्ध नकारात्मक भाव को प्रसारित करने का कार्य किया जाता है जिसका प्रतिकूल प्रभाव शिक्षकों की निष्ठा पर पड़ती है।
  3. वर्तमान में विभाग के द्वारा ई विद्या वाहिनी ऐप से ऑनलाइन अवकाश लेने की प्रक्रिया में अनेक कमियां हैं जिससे आंकड़े भ्रामक हो जा रहे हैं।
  4. शिक्षकों के स्थानांतरण एवं निलंबन की स्थिति में भी ई विद्या वाहिनी में उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती है क्योंकि उसमें शिक्षकों की मूल विद्यालय के लोकेशन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  5. निपुण भारत अभियान के तहत राज्य के लगभग सभी जिलों में एफ एल एन ( FLN) एवं अन्य प्रशिक्षण में हजारों शिक्षक प्रतिदिन प्रशिक्षु अथवा प्रशिक्षक की भूमिका में रहते हैं जिनकी उपस्थिति उन दिनों में ई विद्या वाहिनी पर लोकेशन के कारण दर्ज ना होकर ऑफलाइन मोड में दर्ज की जाती है, फलस्वरूप ई विद्या वाहिनी पर वैसे हजारों शिक्षकों को अनुपस्थित माना जाता है जब कि वे विभागीय प्रतिनियोजन में कार्यरत रहते हैं।
  6. वर्षों पहले पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा राज्य के विद्यालयों को उपलब्ध कराए गए बायोमैट्रिक डिवाइस अथवा स्कैनर लगभग निष्क्रिय हो चुके हैं ऐसी परिस्थिति में शिक्षकों को अपने निजी मोबाइल से बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने की बाध्यता हो चुकी है। शिक्षकों के निजी मोबाइल में तकनीकी बाधाओं के फलस्वरुप बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रभावित हो जाती है,जिससे शिक्षक उपस्थित होकर भी ई विद्या वाहिनी में अनुपस्थित हो जाते हैं।
    उपरोक्त विभागीय कमियों को नजर अंदाजकर मीडिया के माध्यम से विभाग अपनी कमियों अथवा कमजोरियों को शिक्षकों के माथे ही मढ़कर जनसामान्य के बीच उन्हें बदनाम करने का साजिश किया जा रहा है, जिसका ताजा उदाहरण पूर्वी सिंहभूम के जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीमती निर्मला बरेलिया के द्वारा जिले के शिक्षकों को अपने विद्यालय में पहुंचकर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से अपनी उपस्थिति का प्रमाण देने का फरमान जारी किया गया है जो सरासर शिक्षकों के सम्मान को आहत करने का कार्य है जिसे अखबारों के माध्यम से राज्य के लिए एक मॉडल कदम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
  7. झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा नें शिक्षा सचिव, निदेशक, माध्यमिक एव्ं प्राथमिक शिक्षा को इस मामले पर ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि राज्य के शिक्षा एवं शिक्षकों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए यथाशीघ्र विभाग ई विद्या वाहिनी पोर्टल में नियमित अपडेट करते हुए प्रत्येक विद्यालय को गुणवत्ता युक्त टैब एवं स्कैनर उपलब्ध कराया जाए, साथ ही साथ ही ऑनलाइन अवकाश लेने की प्रक्रिया में खामियों को दूर कर ही लागू किया जाय एवं विकल्प स्वरूप ऑफलाइन मॉड को भी जारी रखा जाय, ताकि शिक्षक अपने निजी मोबाइल के विभागीय प्रयोग से बच सकें एवं उन्हें आए दिन साइबर क्राइम अथवा अपने निजी डेटा की गोपनीयता की सुरक्षा संबंधी मामले से निजात मिल सके। उक्त मामले को विभाग द्वारा संज्ञान में लेते हुए निराकरण किया जाना चाहिए अन्यथा शिक्षक न्यायालय के शरण में जाने के लिए मजबूर होंगे।
HPBL Desk
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