स्थानीय नीति को लेकर राजनीति गरमाई… क्या कैबिनेट की बैठक में सीएम हेमंत सोरेन लेंगे बड़ा फैसला ? सबकी निगाहें…

रांची राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा राजनीतिक अस्थिरता के बीच अपना एजेंडा काफी तेजी से आगे बढ़ा रही है। इसमें स्थानीय नीति भी अहम है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 सितंबर को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान 1932 आधारित खतियान को स्थानीयता का आधार मानने पर जोर दिया था। मंशा साफ है कि राज्य में वही स्थानीय माना जाएगा जो वर्ष 1932 के सर्वेक्षण के दौरान भूमि के स्वामी थे।

झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने भी हेमंत के सुर में सुर मिलाया है। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र एवम अन्य कार्यक्रम के दौरान कहा कि जिनके पास 1932 का सर्वे खतियान है वही झारखंडी है। अपने आधार आदिवासी वोट को एकजुट रखने के लिए झामुमो ने इस मुद्दे को उभारा है, ताकि सरकार अस्थिर होने की स्थिति में इसका फायदा मिल सके।

आजसू ने भी दबाव बनाया

उधर भाजपा के सहयोगी आजसू पार्टी ने कहा की इस मुद्दे पर सिर्फ बोलने की बजाय तत्काल लागू की जाय। आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र महतो के बयान पर कहा कि राज्य सरकार इसे तत्काल लागू करें। दबाव बनाने के लिए 23 सितंबर से लगातार राजभवन मार्च का आयोजन करेगी।

खुलकर बयान बाजी से बच रही है भाजपा

भाजपा इस मुद्दे पर बयानबाजी से बच रही है। इसकी वजह भी है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने स्थानीय का आधार 1985 से पूर्व प्रदेश में रहने वाले लोगों को बनाया था। अभी यही नीति लागू है। विधानसभा के भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के मुताबिक हेमंत सोरेन असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए स्थानीय नीति का मुद्दा उछाल रहे। पूरा परिवार भ्रष्टाचार में डूबा है। भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर ऐसी बातें करने लगी है और सरकार संकट में है।

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आज की बैठक पर है निगाहें

आज कैबिनेट की बैठक होने वाली है सबकी निगाहें राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक पर है। संभावना जताई जा रही है कि स्थानीय नीति को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बैठक में निर्णय ले सकते हैं।

पूर्व में न्यायालय भी कर चुका है खारिज

वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी स्थानीयता के लिए 1932 का खतियान लागू किया था। लेकिन न्यायालय से ये खारिज हो गया। 1932 आधारित नीति लागू होने पर राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा प्रतिहिंसा हुई थी। मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। उनके स्थान पर अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद सरकार इस मुद्दे को छूने से बचती रही। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने शासनकाल में वर्ष 1985 को स्थानीय नीति के लिए आधार वर्ष घोषित किया। इसका झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विरोध किया था।

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