ED पर राजनीति : बाबूलाल मरांडी बोले- भ्रष्ट नेताओं का असल ठिकाना होटवार ही है….झामुमो का पलटवार, सरकार की लोकप्रियता से घबरा रही है बीजेपी
रांची। ED की एक चिट्ठी से झारखंड की सियासत, ब्यूरोक्रेसी और कारोबारियों में खलबली मची हुई है। एजेंसी ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो उनके पीए पवन कुमार समेत कई IAS, IPS अधिकारी और कोयला क्रशर कारोबारियों का ब्यौरा पुलिस मुख्यालय से मांगी है। ईडी की कार्रवाई के बाद झारखंड का राजनीति पारा फिर चढ़ गया है। झारखंड बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने इसको लेकर ट्वीट किया है।
बाबूलाल ने ट्वीट कर लिखा है कि मैंने पहले ही कहा है की गिरफ्तार अमित अग्रवाल के सारे कॉल डिटेल्स खंगाले जाए। सारा मामला शीशे की तरह साफ हो जाएगा। राज्य की जड़ों को कुतरने वाला इन भ्रष्ट सत्ताधीसों का असली ठिकाना होटवार ही है। उन्होंने लिखा कि भ्रष्टाचार की परतें खुल रही है। अब शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो और उनके पीए भी जांच के दायरे में हैं। अमित अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद पूर्व आईएस केके खंडेलवाल, दीपिल झा, गिरिडीह एसपी अमित रेनू समेत अन्य कारोबारियों की जानकारी मांगी गई है। जाहिर है money-laundering और सेल कंपनियों के द्वारा काली कमाई एक संगठित गिरोह के माध्यम से होता रहा है।
दूसरी तरफ सत्ताधारी दल झामुमो के नेता मनोज पांडेय का कहना है कि एक साजिश के तहत पूरी कवायद केंद्र के इशारे पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि झामुमो के बड़े नेताओं को टारगेट किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की संपत्ति का ब्यौरा पब्लिक डोमेन में है। यह उनकी लोकप्रियता से घबराहट का नतीजा है। देश के सभी गैर भाजपा शासित राज्यों में यही हथकंडा अपनाया जा रहा है। पार्टी को न्यायालय पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि खनन पदाधिकारी के रूप में विभूति कुमार की पोस्टिंग पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में हुई थी। सेवानिवृत आईएएस केके खंडेलवाल का मामला भी पूर्व की सरकार के कार्यकाल का है।
आपको बता दें कि कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल ईडी की रिमांड पर हैं। ईडी ने कोर्ट को बताया था कि अमित अग्रवाल को अंदेशा था कि पीआईएल संख्या 4290/2021 की सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट कभी भी उनकी कंपनी के जरिए हुए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का आदेश दे सकता था। इसलिए अपने एफआईआर में सरकारी अफसर, कोर्ट के अफसर और जजों को मैनेज करने का जिक्र किया ताकि झारखंड हाई कोर्ट इस पीआईएल को साजिश बताते हुए खारिज कर दे। इसी मकसद से अमित अग्रवाल ने अपने बैंक खाते से 60 लाख रुपए निकाले और अधिवक्ता राजीव कुमार को ट्रैप करने के लिए 50 लाख रुपए दिये। इसलिए इस मामले में अमित अग्रवाल के साथ-साथ राजीव कुमार भी कानूनी रूप से सजा के दायरे में आते हैं। ईडी ने कहा है कि एक हजार करोड़ से ज्यादा के हुए अवैध माइनिंग में अमित अग्रवाल की भागीदारी के भी साक्ष्य मिले हैं। इनकी कंपनी के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। ईडी अब अमित अग्रवाल से पूछताछ कर रही है। वह जानना चाह रही है कि इस पूरे साजिश में और कौन-कौन शामिल हैं।