B.ED अभ्यर्थियों को बड़ा झटका : प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए योग्य नहीं, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, डीएलएड या BSTC ही …
नयी दिल्ली। लंबे समय से चल आ रहा है बीएसटीसी-बीएड (BSTC-B.ed) विवाद समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला दिया है। SC ने बीएड धारियों को प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए अपात्र माना है। एससी के बीएसटीसी-बीएड विवाद में दिए फैसले से राजस्थान सरकार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने यह आदेश दिया है।
लेवल-1 शिक्षक भर्ती के लिए बीएड योग्यता न होने और सिर्फ बीएसटीसी (डीएलएड) योग्यता होने को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका पर आज यानी शुक्रवार, 11 अगस्त 2023 को हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खण्डपीठ ने आदेश दिया कि राजस्थान शिक्षा विभाग में लेवल-1 स्तर के शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएसटीसी डिप्लोमा किए उम्मीदवार ही पात्र हैं, जबकि बीएड किए उम्मीदवार इन पदों के लिए अपात्र हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की पॉलिसी पर मुहर लगाई है. प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए केवल BSTC को पात्र मानते हुए बीएड धारियों को अपात्र माना है. राजस्थान सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील मनीष सिंघवी ने कोर्ट में पक्ष रखा था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 30 मई 2018 के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अन्य राज्यों में भी असर पड़ेगा.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवार को सुनाए गए निर्णय के चलते राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की याचिका खारिज हो गई। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें लेवल-1 (प्राथमिक) शिक्षा के स्तर के अध्यापक भर्ती के लिए डीएलएड (पूर्व नाम बीएसटीसी) डिप्लोमा को ही पात्र बताया गया था, जबकि इन पदों के लिए बीएड डिग्री धारकों को अपात्र निर्धारित किया गया था।
बता दें कि, राजस्थान सहित देशभर में ग्रेड थर्ड टीचर भर्ती परीक्षा के लेवल-1 में बीएसटीसी और इसके समकक्ष डिप्लोमा धारियों को ही पात्र माना जाता था। वहीं लेवल-2 के लिए बीएड डिग्रीधारी होना जरूरी था। 28 जून 2018 को एनसीटीई ने एक नोटिफिकेशन निकालकर कहा कि लेवल-1 के लिए बीएड डिग्रीधारी भी पात्र होंगे। वहीं नियुक्ति मिलने के बाद उन्हें 6 महीने में एक ब्रिज कोर्स करना पड़ेगा। इसी नोटिफिकेशन से पूरे देश में यह विवाद शुरू हो गया था। इसके चलते बीएसटीसी और बीएड डिग्रीधारी आमने-सामने हो गए थे. इसके बाद हाईकोर्ट में नोटिफिकेशन के खिलाफ और पक्ष में याचिकाएं दायर हुई थीं।
बता दें कि बीएड बनाम बीएसटीसी विवाद NCTE द्वारा वर्ष 2018 में जारी की गई अधिसूचना के बाद शुरू हुआ था, जिसमें कहा गया था कि राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET) के लेवल-1 परीक्षा के लिए बीएड डिग्रीधारक इस शर्त पर योग्य होंगे, जबकि वे परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद 6 माह का ब्रिज कोर्स करेंगे। इसे लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में पक्ष और विपक्ष दोनो तरफ से याचिकाएं दायर हुई थीं, जिसमें कोई फैसला नहीं आ पाया था। इस बीच रीट परीक्षा का 2021 की नई अधिसूचना जारी हुई, जिसमें कहा गया कि लेवल 1 के लिए बीएड वाले सिर्फ इस शर्त पर आवेदन कर सकते हैं कि उच्च न्यायालय में सम्बन्धित मामले पर जो भी फैसला आएगा, उन्हें वह मानना होगा।