इस शहादत को सलाम: मेजर की जांघ में लगी थी गोली, 10 घंटे तक बहता रहा खून, साथी जवान रेस्क्यू में पहुंचे, तो बोले- आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा

पानीपत। पानीपत का बेटा वीरगित को पा गया। अनंतनाग में आतंकियों से लोहा लेते हुए जान की बाजी लगाने वाले मेजर आशीष धौंचक पंचतत्व में विलीन हो गये। उनकी शहादत से जुड़ी जो जानकारी आयी है, वो रोंगटे खड़े करने वालीहै। अनंतनाग में घने जंगलों के बीच उनकी आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी। इसी बीच मेजर आशीष धौंचक की जांघ में गोली लग गई। जब आर्मी की मेडिकल टीम मेजर आशीष को लेने आई तो उन्होंने कहा - मैं सभी आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा।

मेजर आशीष घायल हालत में भी आतंकियों से भिड़ते रहे। करीब 10 घंटे तक मेजर आशीष के पैर से खून बहता रहा। जिससे उनकी हालत बिगड़ती चली गई। लड़ते-लड़ते मेजर आशीष की हालत नाजुक हो गई और वे देश के लिये शहीद हो गये। 2012 में 25 साल की उम्र में मेजर आशीष भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। मेजर आशीष की पार्थिव देह शुक्रवार को उनके पैतृक गांव बिंझौल लाई गई।

बुधवार को अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और एक डीएसपी शहीद हो गये थे। मेजर आशीष धौंचक के जीजा सुरेश दूहन ने कहा- कुछ दिन पहले आशीष से बात हुई। उस वक्त वे बहुत खुश थे। मुझे कह रहे थे कि देश के 4-5 दुश्मन निपटा दिए। बाकियों को भी निपटाकर ही लौटूंगा। 23 अक्टूबर को नए घर में गृह प्रवेश करेंगे। जागरण होगा और हम सब खुशियां मनाएंगे।

असल में मेजर आशीष ने अपने लिए पानीपत की TDI सिटी में नया घर बनवाया था। इसमें वह अपने बर्थडे पर शिफ्ट होने वाले थे लेकिन उससे पहले ही आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए। शहीद मेजर की अंतिम यात्रा पानीपत TDI सिटी से 14 किमी दूर उनके गांव बिंझौल पहुंची। यात्रा के साथ एक किलोमीटर लंबे काफिले में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए। सड़क के दोनों तरफ खड़े लोगों ने आशीष की पार्थिव देह पर फूल बरसाकर उन्हें विदा किया। शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को शुक्रवार (15 सितबंर) की सुबह पानीपत के TDI सिटी स्थित उनके नए मकान में लाया गया। जिसे आशीष दो साल से बनवा रहे थे।

अंतिम यात्रा के साथ शहीद मेजर आशीष की बहनें और मां भी बिंझौल आईं। मां पूरे रास्ते हाथ जोड़े रहीं, जबकि बहन भाई को सैल्यूट करती रही। जब भास्कर ने उनसे बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा- "मेरा भाई हमारा और देश का गर्व है।"आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की। 12वीं के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक किया। जिसके बाद वह एमटेक कर रहे थे। इसका एक साल पूरा हुआ था कि 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे।

HPBL Desk
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