संविदाकर्मियों की उम्मीदों को झटका : सदन में सरकार ने समान काम, समान वेतन व संविदाकर्मियों को अन्य सुविधाओं को लेकर दिया ये जवाब…
रांची। संविदाकर्मियों को समान काम समान वेतन देने की मांग लंबे समय से उठ रही है। ऐसे में आज विधानसभा में संविदाकर्मियों को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया है। भाजपा विधायक राज सिन्हा के सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने बताया कि नियमित और अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों की सेवा शर्तें अलग-अलग होती है, ऐसे में संविदाकर्मियों को समान काम, समान वेतन दिया जाना संभव नहीं होगा। राज्य में अलग-अलग सरकारी विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं मिलेगा। राज्य सरकार ने सदन में यह सूचना दी है।
विधायक राज सिन्हा ने सरकार से संविदा कर्मियों, समान कार्य के लिए समान वेतन और इससे संबंधित सवाल लगाये थे। सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने बताया नियमित रूप से नियुक्त सरकारी सेवक और संविदा कर्मियों का वेतन एवं अन्य सुविधाएं समान नहीं हो सकती हैं। दोनों की सेवा शर्तें एवं नियोजन की प्रक्रिया एकदम भिन्न है. कार्य तथा जिम्मेवारी का वहन अलग है। राज्य सरकार ने बताया कि नियमित नियुक्ति सरकार द्वारा स्वीकृत वेतनमान में की जाती है जबकि संविदा की नियुक्ति नियत मानदेय पर की जाती है। वेतन एवं मानदेय दोनों अलग अलग प्रकृति के हैं।
जवाब में बताया गया है कि राज्य सरकार में कार्यरत योग्य संविदा कर्मियों या अनियमित रूप से नियुक्त कर्मी की सेवा कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा निर्गत अधिसूचनाओं (अधि सं-1348, 13.02.2015 तथा 4871, 20.06.2019) के आधार पर नियमित किये जाने की कार्रवाई की जा रही है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत में नियमित रूप से नियुक्त सरकारी सेवक के समान संविदा कर्मियों को ईपीएफ, सामान्य ग्रुप बीमा तथा भविष्य की सुरक्षा से संबंधित अन्य सुविधाएं देने में सैद्धांतिक कठिनाई है।
राज्य सरकार ने सदन में बताया कि संविदा पर कार्यरत कर्मियों के मानदेय से संबंधित आदेश, संकल्प, परिपत्र वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर निर्गत किया जाता है। इस आधार पर संविदा कर्मियों को मानदेय का भुगतान किया जाता है। मानदेय में महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता एवं परिवहन भत्ता (जहां अनुमान्य हो) को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्ति संविदा कर्मियों को आकस्मिक अवकाश की सुविधा अनुमान्य है।