झारखंड: “पुलिसकर्मियों पर सख्त कारवाई हो, अन्यथा एक-एक ज़ख्म का हिसाब लिया जाएगा” घोड़थंबा विवाद पर बाबूलाल मरांडी ने दी चेतावनी, बोले…

Jharkhand: "Strict action should be taken against the policemen, otherwise every wound will be avenged" Babulal Marandi warned on Ghorathamba dispute, said...

रांची। गिरिडीह में हुई हिंसक झड़प के बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई पर बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाये हैं। उन्होंने प्रसासन पर सवाल खड़े किये हैं। गिरिडीह के घोड़थंबा में होली जुलूस के दौरान पथराव और आगजनी की घटना हुई थी। इस घटना में धनवार के बीपीओ सह दंडाधिकारी सुरेंद्र कुमार वर्णवाल ने प्राथमिकी दर्ज की थी। अब इस भाजपा ने सवाल खड़े किये हैं।

 

दरअसल घोड़थंबा में होली जुलूस को रोकने के बाद दो गुटों में हुई हिंसक झड़प के मामले में 80 नामजद समेत 200 अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। साथ ही पुलिस ने मामले में 22 लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। बाबूलाल मरांडी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि मैंने कल आशंका व्यक्त की थी कि होली के दिन गिरिडीह के घोड़थंबा में हुई हिंसा मामले में प्रशासन उपद्रवियों का बचाव करते हुए मामले को संतुलित दिखाने के लिए पीड़ित हिंदू पक्ष पर कारवाई कर सकती है।

 

बाबूलाल मरांडी ने आगे लिखा है कि अब इस मामले में दर्ज FIR को देखने से ऐसा लगता है जैसे यह कोई शिकायतवाद नहीं, बल्कि हिंदुओं पर हुए हमले का एक पूर्व नियोजित खाका हो। FIR में जिस प्रकार से घटना को वर्णित किया गया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस-झामुमो के शासन में हिंदुओं ने होली मनाकर कोई अपराध कर दिया है।

 

यदि हिंदू अपना त्योहार मनायेंगे तो उनपर बोतल बम और पत्थर से हमला होगा, फिर उसके बाद घटना का दोषी बताते हुए उनपर ही मुकदमा भी दर्ज होगा! यह FIR पूरी तरह तुष्टिकरण से प्रभावित लगती है, जिसमें हेमंत सरकार की हिंदूविरोधी मानसिकता स्पष्ट नज़र आती है।

 

सिर्फ पीड़ित हिंदू पक्ष को कटघरे में खड़ा कर उन्हें ही दोषी ठहराया जाने की सुनियोजित साजिश रची गई है। घटना के असली गुनहगारों को बचाने की पटकथा (FIR) लिखकर सरकार ने उपद्रवियों का मनोबल बढ़ाने और भविष्य में हिंदुओं के ऊपर ऐसे ही हिंसक हमले करने के लिए प्रेरित किया है।

 

बाबूलाल मरांडी ने दे दी चेतावनी 

गिरिडीह के घोड़थंबा में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान चलाने वाले विकास शाह को पुलिस ने जिस क्रुरता के साथ पीटा है, वह चीख चीख कर पुलिस की बर्बरता की गवाही दे रहा है। हेमंत सोरेन क्या इसी तरह जनता को पुलिसिया जुल्म के हवाले छोड़ दिया जाएगा? पुलिस की यह कारवाई बेहद शर्मनाक और अक्षम्य है। लोकतंत्र में लाठीतंत्र की कोई जगह नहीं है। पुलिस की दमनात्मक कारवाई को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले की जांच कर विकास के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले सभी पुलिसकर्मियों पर सख्त कारवाई हो, अन्यथा पीठ पर दिख रहे एक-एक ज़ख्म का हिसाब लिया जाएगा।

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