अड़ियल BPM?... वरीय अधिकारी का आदेश न मानकर कहीं अपना राज तो नहीं खोल रहे ये कर्मी ?

धनबाद: इन दिनों जिले का स्वास्थ्य विभाग राजनीति का शिकार हो रहा है। जहां पदाधिकारी से लेकर कर्मचारी तक किसी का आदेश मानने को तैयार नहीं। इन सब के बीच एक सवाल अवश्य चिंता करने वाली है की यदि विभागों में अनुशासन इसी तरह तार तार होती रहेगी और विभाग के उच्च आधिकारिक आदेश की अवहेलना होती रहेगी तो काम काज कैसे चलेगा?

ताजातरीन मामला प्रशासनिक दृष्टिकोण से प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक (BPM) के स्थानांतरण को लेकर है। जहां गोविंदपुर प्रखंड के बीपीएम प्रदीप सेन का स्थानांतरण बलियापुर और बलियापुर प्रखंड के बीपीएम प्रमोद कुमार की प्रतिनियुक्ति को गोविंदपुर किया गया है। परंतु आदेश निकलने के 15 दिन होने के बावजूद ये कर्मी योगदान नही दिए हैं।

हठधर्मिता गजब की

दोनों प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक की अड़ियल रवैए गजब की है। सिविल सर्जन डा आलोक विश्वकर्मा द्वारा जारी आदेश पत्र में 2 दिन के अंदर प्रतिनियुक्त स्थल पर योगदान देने को कहा गया था। परंतु तय समय अवधि पूरे होने के 15 दिन बाद भी अब तक दोनों कर्मियों ने योगदान नहीं दिया और अवकाश का अपना आवेदन डाक के माध्यम से विभाग को भेज रहे हैं।

आपको बता दें की ये बीपीएम जिस दिन तक अपने प्रखंड में कार्य किया उसी दिन अपना आवेदन भी डाक के माध्यम से भेजा। यहां गौर करने वाली बात ये है की छुट्टी का आवेदन तब भेजी जा रही है जब दोनो प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा दोनों बीपीएम को बिरमित किया जा चुका है। सिविल सर्जन धनबाद द्वारा जारी पत्र के अनुपालन के आलोक दोनो बीपीएम को प्रभारी द्वारा विरमित किया गया है।

अवकाश का आवेदन सही या गलत?

आपको बता दे की ये कर्मी अवकाश का आवेदन तब अपने अपने पूर्व संस्थान को भेज रहें हैं जब ये कर्मी अपने अपने संस्थान से विरमित हो चुके है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है की जिस संस्थान से ये कर्मी विरमित हो चुके हैं उस संस्थान में अवकाश का आवेदन कैसे भेज रहे हैं?

आखिर क्यों नहीं छोड़ना चाहते हैं अपने संस्थान

इस अड़ियल रवैए के कारण ये सवाल भी उठता है कि आखिर क्यों नहीं छोड़ना चाहते अपने मनपसंद जगह को? कहीं इसके पीछे अपना निजी स्वार्थ तो नहीं? कहीं इसके पीछे भ्रष्टाचार का खेल तो नहीं? कहीं इसके पीछे अपने अपने सेटिंग का खेल तो नहीं?

ये सवाल आखिर इसलिए भी उठ रहे है क्योंकि विभाग में कार्यरत कर्मी को उसके नियंत्री पदाधिकारी कहीं भी प्रतिनियुक्त कर कार्य ले सकते हैं।उसके बावजूद ये कर्मी अपने जिले के अंदर दूसरे प्रखंड जाने को तैयार नहीं।

शेष अगले भाग में.....

HPBL Desk
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