TAC MEETING : जनजातीय भाषाओं के शिक्षकों की भर्ती में आयेगी तेजी… अनुसूचित क्षेत्र में आरक्षण रोस्टर का विरोध…. देखिये बैठक में हुए फैसले

रांची। ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गयी। बैठक में टीएसी सदस्यों ने नगर निकाय चुनाव में रोस्टर के आधार पर एकल पदों पर आरक्षण का विरोध जताया। अब इस मामले में राज्य सरकार कानूनी परामर्श लेगी। टीएसी की बैठक में इस बात का निर्णय लिया गया कि टीएससी की अनुशंसा पर राज्य सरकार केंद्र से पत्राचार करेगी, लेकिन इसके पूर्व इस मसले पर कैबिनेट की सहमति अनिवार्य होगी। मतलब टीएसी की बैठक में जो भी निर्णय सामने आये हैं, उसे कैबिनेट में भी रखा जायेगा। कैबिनेट से पास होने के बाद केंद्र सरकार से अनुशंसा की जाएगी। केंद्र से इस प्रकरण में कोई निर्णय लिए जाने के बाद ही आगे की कार्यवाही शुरू होगी।

टीएसी की बैठक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री-सह-टीएसी के उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन, विधायक-सह-टीएसी सदस्य प्रो. स्टीफन मरांडी, दीपक बिरुआ, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, नमन बिक्सल कोनगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, शिल्पी नेहा तिर्की, मनोनीत सदस्य विश्वनाथ सिंह सरदार, जमल मुंडा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव के.श्रीनिवासन, सचिव हिमानी पांडे, सचिव केके. सोन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। नगर निकाय बिल 2021 के स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसा को विलोपित करने की अनुशंसा राज्य सरकार वापस लेगी। टीएसी ने विचारोपरांत उक्त प्रविधान को यथावत रखने की अनुशंसा भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया है।

ये फैसले भी लिये गये

जनजातीय भाषाओं के शिक्षको की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज किया जाय। आवश्यकता अनुसार पदों को सृजन भी हो।- होड़ोपैथी आदिवासी ज्ञान परंपरा का गौरवपूर्ण हिस्सा रहा है। इसको देखते हुए इसके वैज्ञानिक विश्लेषण, अध्ययन, अनुसंधान, प्रकाशन के साथ सीएसआईआर के तरह वैज्ञानिक प्रयोगशाला बनाते हुए इसे आयुष में सम्मिलित किये जाने पर जोर दिया गया।

जनजातीय समुदाय के युवाओं को पांच वर्ष से अधिक भुगतान अवधि के साथ ऋण प्रदान किये जाने हेतु अन्य राज्यों के प्रविधानों का अध्ययन कराते हुए बैंकों के साथ राज्य स्तरीय बैठक कर नीति बनायी जाए।

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वनाधिकार अधिनियम-2006 के अन्तर्गत अधिक से अधिक सामुदायिक पट्टा दिये जाने और उसमें अधिक से अधिक वन भूमि का उपयोग वन विभाग के नियमों एवं पर्यावरण के अनुकूल करने पर जोर दिया गया।

पर्यावरण और जनजातीय संस्कृति का संरक्षण करते हुए राज्य में परिवेशीय अनुकूलन पर आधारित पर्यटन अर्थात ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जायेगा।

जनजातीय भाषा में कक्षा 1 से 5 तक के लिए अध्ययन और जनजातीय भाषाओं के अधिक से अधिक उपयोग पर डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के माध्यम से अध्ययन कराते हुए एक नीति बनायी जायेगी। और जनजातीय भाषाओं में अधिक से अधिक पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद कराते हुए उसका वितरण कराये जाने का निर्णय लिया गया।

  • पर्यावरण और जनजातीय संस्कृति का संरक्षण करते हुए राज्य में परिवेशीय अनुकूलन पर आधारित पर्यटन अर्थात ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जायेगा।

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