शिक्षिका बर्खास्त: तीसरी संतान हुई तो शिक्षा विभाग ने किया शिक्षिका को बर्खास्त, विभाग की कार्रवाई से मचा हड़कंप
आगर मालवा(एमपी)। तीसरी संतान होने पर शिक्षिका को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। मामला मध्यप्रदेश के आगर मालवा का है। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब शिक्षिका ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। दरअसल मध्यप्रदेश में 2001 से टू चाइल्ड पॉलिसी लागू है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमों के तहत अगर तीसरा बच्चा 26 जनवरी 2001 के बाद जन्मा है, तो उसके माता/पिता को सरकारी नौकरी का पात्र नहीं माना जाएगा। यह नियम उच्च न्यायिक सेवाओं पर भी लागू होता है।
इधर, महिला शिक्षिका ने कोर्ट जाने की बात कही है। तीसरी संतान होने पर नौकरी से निकाले जाने के फैसले पर नाराज महिला टीचर का कहना है कि उन्हें नियम की जानकारी थी, लेकिन गर्भपात से जान को खतरा था, इसलिए उसने तीसरी संतान को जन्म दिया। केमिस्ट्री की महिला टीचर रहमत बानो आगर मालवा के बीजा नगरी में शासकीय माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ थीं। संविदा वर्ग-2 की टीचर को गुरुवार को ही सेवा समाप्ति का आदेश मिला।
इस मामले में शिकायत के बाद जांच करायी गयी, जिसके बाद संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग रविंद्र कुमार सिंह ने आदेश जारी किए। रहमत के मुताबिक वो आगर मालवा के बड़ोद की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया- 2003 में संविदा वर्ग-2 में नौकरी जॉइन की। बड़ोद के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संकुल प्राचार्य के पद पर 2 साल तक पदस्थ रही। साल 2000 में बेटी रहनुमा, 2006 में बेटा मुशाहिद और 2009 में बेटा मुशर्रफ पैदा हुआ था।
शिक्षिका ने बताया कि रहनुमा मंदसौर से BAMS कर रही है। मुशाहिद को NEET की तैयारी के लिए कोटा में एडमिशन करवाया है जबकि तीसरा बेटा मुशर्रफ अभी स्कूल में है। उनकी पढ़ाई के लिए करीब 5 लाख की फीस देनी है। एकदम से नौकरी जाने से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पति सईद अहमद बड़ोद में उर्दू मदरसे में काम करते हैं। बच्चों और घर की जिम्मेदारी मुझ पर है। अब बच्चों का भविष्य कैसे बनाऊंगी? ये भी नहीं पता है।