हाईकोर्ट ने आरोपी को नाबालिग के साथ संबंध बनाने के मामले में दी जमानत, कहा, दुर्दांत अपराधियों की संगत ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी
नयी दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। नाबालिग लड़की के साथ आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने पर पोक्सो (POCSO) के तहत दर्ज मामले में एक आरोपित को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि एक युवा लड़के को कठोर अपराधियों की संगति में डालने से उसे फायदे की बजाय नुकसान अधिक होगा।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा कि नाबालिग लड़की, जिसकी उम्र संबंधित समय में साढ़े 17 साल थी, के पास पर्याप्त परिपक्वता और बौद्धिक क्षमता थी और प्रथम दृष्टया वह आरोपी के साथ सहमति से रोमांटिक रिश्ते में थी। उन्होंने कहा कि उनके बीच शारीरिक संबंध उनकी मर्जी से बने थे।
न्यायाधीश ने कहा कि हाई कोर्ट ने पहले के फैसले में कहा था कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) का उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाना था और इसका उद्देश्य कभी भी सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना नहीं था।
आरोपित पर आरोप था कि उसने पड़ोस में रहने वाली लड़की से दोस्ती की और शादी करने का वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। लड़की के गर्भवती होने पर इसका पता चला।लड़की ने अपने बयान में कहा था कि वह कभी भी याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कराना चाहती थी। मामले में स्वजन द्वारा प्राथमिकी कराई गई थी।
कोर्ट ने कहा कि आरोपित 15 अक्टूबर 2021 से हिरासत में है। याचिकाकर्ता को जेल में रखने से कोई फायदा नहीं होगा। ऐसे में याचिकाकर्ता को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक जमा करने पर जमानत पर सशर्त रिहा किया जाता है।