प्रिंट रेट से ज्यादा कीमत लेने वाले शराब दुकानदार की खैर नहीं ! शराब से लगाव रखने वालों ने बनाया शराब उपभोक्ता संघ

पलामू । क्या आपने कभी सुना है शराब पीने वालों का संगठन ! ये आपको सुनने में अटपटा जरूर लग रहा होगा पर ये सच है की अब शराब पीने वाले उपभोक्ता ने अपना संगठन बनाया है। ये संगठन बनने के बाद शराब बेचने वाले दुकानदार के बीच हड़कंप मचा हुआ है। शराब उपभोक्ता संघ का गठन झारखंड की राजधानी रांची से करीब 165 किलोमीटर दूर पलामू के इलाके में हुआ है. इस संघ में कई जनप्रतिनिधि, पूर्व जनप्रतिनिधि और बड़े चेहरे शामिल हैं.

क्यों करना पड़ा संघ का गठन

शराब उपभोक्ता संघ के कार्यकारी सचिव गुड्डू पांडेय ने बताया कि मेदिनीनगर के निजी होटल में रविवार को संघ की बड़ी बैठक होगी, जिसमें कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा. ये संघ प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर बिकने वाली शराब का विरोध करेगा, साथ ही साथ मामले की शिकायत पर पीआईएल की भी योजना तैयार करेगा. इसके अलावा प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर बिकने वाली शराब का एक ब्यौरा तैयार करके, प्रवर्तन निदेशालय को इससे होने वाली अवैध कमाई की जानकारी संघ की ओर से दी जाएगी.

पलामू में हर दिन बिकती है 30 लाख रुपये की शराब

पलामू में जिला उत्पाद विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 30 लाख रुपये के करीब शराब बिकती है. त्योहारों के दौरान यह आंकड़ा 50 लाख के करीब पहुंच जाता है. झारखंड उत्पाद विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 120 करोड़ रुपए से भी अधिक का शराब बेचने का लक्ष्य रखा है. 2012-13 में उत्पाद विभाग ने पलामू में सालाना 13 करोड़ रुपये की शराब बेचने का लक्ष्य रखा था. एक दशक में 13 करोड़ से बढ़कर 120 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में पलामू के इलाके में लगभग 105 करोड़ की शराब की बिक्री हुई थी.

क्या है मामला

पलामू के इलाके में काफी दिनों से ये शिकायत आ रही थी की प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर शराब बिक रही है. कई मौकों पर उत्पाद विभाग की कार्रवाई में इसका खुलासा हुआ है. एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बेचने के मामले में पलामू में अब तक दो एफआईआर हो चुके हैं जबकि दो लोगों को गोली मारी गई है. पलामू में शराब की बोतल पर प्रिंट रेट से 20 से 50 अधिक कीमत पर बेची जा रही है. प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर बिक रहे शराब के कारण नाराज लोगों ने शराब उपभोक्ता संघ का गठन किया है.

संघ के सदस्यों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि संघ में शामिल सभी लोग शराबी हैं, उनका एक नागरिक कर्तव्य भी है. शराब की दुकानों पर खड़े होने पर शराबी हीं समझा जाता है. कई मौकों पर अपने करीबियों को देखने के बाद शराब खरीद रहे लोग शर्म से कुछ नहीं बोलते हैं. शराब का सेवन करने वाले लोग भी एक उपभोक्ता हैं, वे गलत कार्यों के खिलाफ संघ का गठन किया है, हर गलत कार्य का विरोध करना एक नागरिक का अधिकार भी है. जब सरकार खुद शराब बेच रही है उसके वावजूद धड़ल्ले से कीमत से ज्यादा दाम वसूले जा रहे है।परंतु विभाग इस पर लगाम लगा पाने में असमर्थ है, तो कहीं न कहीं विभाग पर अंगुली उठाना और मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता।

HPBL Desk
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