ड्राइवर के बेटे और दूध बेचने वाले बनेंगे इस प्रदेश के मुख्यमंत्री....जानिए किन वजह से सारे दिग्गज हो गए पीछे..
शिमला । कांग्रेस पार्टी के चार बार के विधायक रह चुके सुखविंदर सिंह सुक्खू को पार्टी की तरफ से हिमाचल प्रदेश की सत्ता सौंपी जा रही है। बतौर मुख्यमंत्री वो रविवार को शपथ लेंगे। छात्र राजनीति से उभर कर पार्टी के विभिन्न पदों पर होते हुए सुक्खू ने काफी संघर्ष किया है। शिमला में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सुखविंदर सिंह सुक्खू को विधायक दल का नेता चुना गया।
कौन है सुखविंदर सिंह सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता सड़क परिवहन निगम में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। अपने शुरुआती दिनों में सुखविंदर सिंह सुक्खू छोटा शिमला में दूध का कारोबार करते थे। 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के साथ अक्सर विवाद होने के बावजूद 2013 से 2019 तक रिकार्ड 6 साल तक पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष बने रहे। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रतिभा सिंह दोनों ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश किया था।
राहुल गांधी के करीबी हैं सुक्खू
शीर्ष पद पर काबिज होने वाले निचले हिमाचल के पहले कांग्रेसी नेता है।बीजेपी के प्रेम कुमार धूमल के बाद सुखविंदर सिंह हमीरपुर जिले से दूसरे मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले नादौन सीट से विधायक सुक्खू पर पार्टी आलाकमान का विश्वास पूर्व में ही उजागर हो गया था, जब उन्हें कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। बड़ी संख्या में उनके समर्थकों को पार्टी का टिकट मिला था। सुक्खू ने राज्य कांग्रेस प्रमुख के रूप में अपना कार्यकाल के दौरान उन्होंने संगठन को मजबूत किया।कार्यकर्ताओं तथा विधायकों के साथ उनके तालमेल ही उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार बना दिया।
एनएसयूआई के महासचिव का पद संभाल चुके हैं सुक्खू
हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्य वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव 12 नवंबर को हुए थे और नतीजों की घोषणा बृहस्पतिवार को हो गई। जुलाई 2021 में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद से राज्य में यह पहला चुनाव था। कांग्रेस से संबंध नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के राज्य इकाई (NSUI) के महासचिव थे। 2003 में नादौन से पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था। 2007 में सीट बरकरार रखी, लेकिन 2012 में वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2017 और 2022 में उन्होंने फिर से अपनी जीत दर्ज की थी।