सरफराज अहमद के इस्तीफे के पीछे की थ्योरी! आखिर क्यों गांडेय विधायक से ही क्यों इस्तीफा लिया गया, इस्तीफे के बदले क्या सरफराज के लिए रिटर्न गिफ्ट है तैयार ?
राची। सरफराज अहमद का गांडेय विधानसभा सीट से इस्तीफा और तत्काल प्रभाव से स्पीकर की मंजूरी….क्या ये झामुमों की रणनीति का हिस्सा है। राजनीति के जानकार झारखंड में चल रहे सियासी उठापटक के बीच कयास लगा रहे हैं, कि कल्पना सोरेन को सीएम बनाने के प्लान के तहत ही झामुमो ये सब कर रही है। चर्चा है कि आज विधायक दल की बैठक में कल्पना सोरेन के नाम पर पार्टी की मुहर लगेगी, जिसके बाद ED के एक्शन का इंतजार पार्टी करेगी।
पार्टी ED के एक्शन के पहले ही पूरा प्लान तैयार कर लेना चाहती है, ताकि किसी भी तरह की आपात स्थिति में तुरंत फैसला लिया जा सके। चर्चा है कि सरफराज अहमद ने प्लानिंग के तहत ही विधायक पद छोड़ा है, इसके बदले में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया है। 4 महीने बाद कांग्रेस की खाते वाली राज्यसभा की सीट खाली हो रही है, जो झामुमो के पास आयेगी।
हालांकि जिस तरह से सरफराज ने कल अचानक से इस्तीफा देकर सभी को चौकाया, उसके बाद कई तरह की बहस शुरू हो गयी थी। कई लोग इसे नाराजगी मान रहे हैं, तो कई इसे दलबदल के नजरिये से भी देख रहे थे, लेकिन अब जब मामला धीरे-धीरे सामने आ रहा है, तब ये चर्चाएं सरगर्म हो गयी है कि इस्तीफे की पूरी प्लानिंग स्क्रीप्टेड है।
इस्तीफे के बाद से ही सवाल उठ रहा था कि पहले राजद और फिर कांग्रेस के बाद झामुमो में आए सरफराज अहमद आसानी से विधायक पद कैसे छोड़ दी। लेकिन अब ये चर्चाएं आ रही है कि विधायक की कुर्सी के बदले सरफराज अहमद को कहीं 6 साल के लिए राज्यसभा सांसद का आफर नहीं मिला है? दरअसल, मई 2024 में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। झामुमो के खाते में आने वाली इस सीट से सरफराज अहमद को राज्यसभा भेजा जा सकता है।
हालांकि चर्चा ये भी है कि हेमंत सोरेन कहते तो कोई भी विधायक अपनी सीट छोड़ने को तैयार हो जाता, लेकिन गांडेय सीट ही क्यों चुना गया? जानकार बताते हैं कि गाडेय को झामुमो का गढ़ कहा जाता है। मुस्लिम और आदिवासी वोटर बाहुल्य इस इलाके में झामुमो के किसी भी प्रत्याशी के लिए जितना मुश्किल नहीं है। ऐसे में अगर उपचुनाव होता है तो कल्पना सोरेन केलिए यहां से पार्टी को जीताना कोई मुश्किल नहीं होगा। ऐसे में सीएम बनकर चुनाव लड़ने पर जीत लगभग सुनिश्चित हीमानी जाती है। झारखंड में ऐसे उदाहरण दो-दो दफा जनता ने देखा है। हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन कोई मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं भी है और इसे लेकर वो लगातार काम भी कर रहे हैं।