गाड़ी बुला रही है…. निशिकांत दुबे ने नामांकन से पहले किया ट्रेन से पोस्ट, लिखा…गाड़ी गोड्डा बुला रही है..सीटी.. जानिये निशिकांत दुबे की दिलचस्प कहानी
देवघर। सांसद निशिकांत दुबे अब से कुछ देर बाद अपना नामांकन दाखिल करने वाले हैं। अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक निशिकांत दुबे देवघर से ट्रेन पकड़कर गोड्डा के लिए रवाना हुए, जहां वो समाहरणालय में पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल करेंगे। नामांकन से पहले निशिकांत दुबे ने ट्रेन का एक VIDEO पोस्ट किया है। उन्होंने वीडियो के साथ लिखा है, गाड़ी गोड्डा बुला रही है, सीटी बजा रही है।
ट्रेन में निशिकांत दुबे अपनी पत्नी और कार्यकर्ताों के साथ सफर कर रहे हैं। गोड्डा रेल स्टेशन से जुलूस के साथ गोड्डा समाहरणालय पहुंचकर नामांकन करेंगे. वही, जिला प्रशासन नामांकन स्थल पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था और दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किया गया है
जानिये कौन हैं निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey Biography In Hindi)
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे चौथी बार गोड्डा सीट से प्रत्याशी हैं। वो लगातार तीन बार यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं। कांग्रेस के प्रदीप यादव से उनका सीधा मुकाबला है। प्रदीप यादव गोड्डा के पोड़ैयाहाट के विधायक हैं। महागठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस को मिली, जिसके बाद पार्टी ने प्रदीप यादव को दंगल में उतारने का फैसला लिया। हालांकि पहले टिकट दीपिका पांडेय को दिया गया था, लेकिन बाद में ये सीट बदल दी गयी। इससे पहले 2009 और 2014 में कांग्रेस के फुरकान अंसारी को ही हराकर निशिकांत दुबे लगातार दो बार बीजेपी सांसद के रूप में संसद पहुंचे. 2009 में ही निशिकांत सियासत की ओर मुड़े. इससे पहले वह एस्सार कंपनी में निदेशक के पद पर कार्यरत थे. बिहार के भागलपुर में जन्मे निशिकांत दुबे ने झारखंड के गोड्डा को अपनी सियासी कर्मभूमि बनाई.
एमबीए करने के बाद एस्सार में बने निदेशक
निशिकांत दुबे का जन्म भागलपुर के भवानीपुर में 28 जनवरी 1969 को हुई. भागलपुर में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए देवघर आ गये. मारवाड़ी कॉलेज, भागलपुर से स्नातक करने के बाद उन्होंने फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली से एमबीए की डिग्री हासिल की. इसके बाद एस्सार में निदेशक के रूप में काम किया.कॉरपोरेट जगत से सियासत में आने के सवाल पर निशिकांत दुबे कहते हैं कि किसी के लिए भी राजनीतिक प्रोफाइल बनाना आसान नहीं होता है. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपनी राजनीतिक और कॉरपोरेट जीवन शैली को कैसे मैनेज किया, तो उनका कहना था कि एस्सार इस दिशा में हमेशा सहायक रही. इसलिए कभी हितों का टकराव नहीं हुआ.
इस तरह से रखा राजनीति में कदम
देवघर प्रवास के दौरान निशिकांत अपने मामा से प्रभावित हुए. यहीं से उनके मन में सियासत में जाने की इच्छा जगी. उनके मामा जनसंघ देवघर इकाई के पार्टी अध्यक्ष थे. जबकि पिता राधेश्याम दुबे एक कम्युनिस्ट थे. इन सबके बीच निशिकांत एबीवीपी के रास्ते पहले भाजयुमो के सदस्य बने, फिर भाजपा में शामिल हो गए. 2009 में सक्रिय राजनीति में आने के बाद उन्हें गोड्डा सीट से बीजेपी का टिकट मिल गया. और पहले संसदीय चुनाव में जीत भी मिल गई. उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता फुरकान अंसारी को मात दिया था. 2014 में एक बार फिर बीजेपी के टिकट पर उन्होंने फुरकान अंसारी को हार का स्वाद चखाया.निशिकांत दुबे ने अनामिका गौतम से प्रेम विवाह किया. दोनों एक-दूसरे को बचपन से जानते थे. जब अनामिका निफ्ट में पढ़ती थीं और निशिकांत एस्सार में काम करते थे. उसी दौरान दोनों ने अपने रिश्ते को अगले स्तर पर ले जाने का फैसला लिया. आज दोनों का भरापूरा परिवार है. दो बेटे हैं. दोनों सिंगापुर में पढ़ाई कर रहे हैं.