अमन साहू: मोबाइल बेचने से कुख्यात गैंगस्टर बनने तक की पूरी कहानी, कभी हार्डकोर नक्सली भी रहा, पढ़िये अमन का क्राइम चैप्टर..

Aman Sahu: The whole story from selling mobiles to becoming a notorious gangster, he was once a hardcore Naxalite too, read Aman's crime chapter..

Aman Sahu Encounter। अमन साहू अपनी उम्र की कई गुणा रफ्तार से जरायम की दुनिया में दौड़ रहा था। 17 साल की उम्र में क्राइम की अंधी दुनिया में एंट्री करने वाला अमन साहू अंडरवर्ल्ड का डॉन बनना चाहता था। वो खुद को जुर्म की दुनिया का बादशाह साबित करने के लिए हर वो वारदात करता था, जिसकी वजह से वो राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहे।

 

लिहाजा ना सिर्फ झारखंड, बल्कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भी उसने कट्टे और गोलियों का खौफ फैलाया। कुछ ही दिन पहले जब झारखंड के हजारीबाग में सरकारी कंपनी NTPC के एक बड़े अफसर DGM कुमार गौरव की दिन दहाड़े हत्या हो गई तो रांची से दिल्ली तक सनसनी मच गई। ये झारखंड सरकार के इकबाल पर प्रश्न चिह्न था।

 

नक्सली से गैंगस्टर तक 

अंडरवर्ल्ड सरगना लॉरेंस बिश्नोई से नजदीकियां रखने वाले अमन साहू ने मात्र 17 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. वह रांची के छोटे से गांव मतबे का रहने वाला है. झारखंड में उसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. अमन पहले एक हार्डकोर माओवादी था, और बताया जाता है कि उसने 2013 में अपना खुद का गैंग बनाया था. अमन पर कोयला व्यापारियों से रंगदारी, लेवी , वसूली, हत्या जैसे मामले दर्ज हैं।

 

ऐसे हुआ था अमन का इनकाउंटर 

पलामू के एसपी रेशमा रमेशन ने बताया कि झारखंड पुलिस की STF NTPC DGM के मर्डर के मामले में पूछताछ करने के लिए अमन साहू को छत्तीसगढ़ से झारखंड लेकर आ रही थी तभी झारखंड की सीमा में पलामू जिले में चैनपुर के नजदीक अपराधी अमन साहू STF के जवान से इंसास राइफल छीन कर और भागने लगा। इस दौरान अमन साहू ने जवान पर गोली चला दी।

 

इनकाउंटर की जांच शुरू 

हमले में जवान घायल हो गया। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमन साहू पर जवाबी फायरिंग की, इस घटना में अमन साहू की मौत हो गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में लिया और मामले की जांच शुरू कर दी है. सुरक्षा एजेंसियां भी घटना से जुड़े अन्य पहलुओं की जांच कर रही हैं।

 

 

मौके पर दो बम भी मिले

इस मामले में राकेश कुमार नाम का एक हवलदार घायल हुआ है. घायल हवलदार को मेदिनीनगर के MMCH में भर्ती कराया गया. पुलिस ने घटनास्थल से दो बम भी बरामद किए हैं।अमन साहू का अंत तो हो गया. लेकिन उसकी आपराधिक साम्राज्य से जुड़े कई सवालों के जवाब आज भी मिलने बाकी है. मसलन NTPC DGM की हत्या किसने और क्यों की. कोयलांचल में रंगदारी के रैकेट का माफिया कौन है? अमन साहू का साम्राज्य पनपा कैसे?

 

12 साल में टिटपुंजिया बदमाश से गैंगस्टर बन गया अमन

झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साव ने अपराध की दुनिया की शुरुआत 2013 में पतरातू औद्योगिक क्षेत्र में बना रहे निर्माणाधीन बर्नपुर सीमेंट फैक्ट्री से शुरुआत की थी। जहां पर फैक्ट्री की गेट पर झारखंड जन मुक्ति संघर्ष मोर्चा के पोस्टर लगाकर फायरिंग कर लेवी की मांग की थी। उसे समय अमन साव बिरसा मार्केट क्षेत्र के पीटीपीएस एफ ओ क्वार्टर में रहता था। पहली बार पतरातू के थाना प्रभारी नित्यानंद महतो ने अमन साव को गिरफ्तार कर जेल भेजा, लेकिन कोर्ट ने उसकी कम उम्र को देखते हुए उसे बाल सुधार गृह हजारीबाग भेजा। जेल से छूटने के बाद वह बिरसा मार्केट में मोबाइल दुकान खोलकर मोबाइल बेचने और रिचार्ज का काम में लगा हुआ था, लेकिन तभी अपराधी सूरज सिंह (मृत )से उसकी मुलाकात हुई। अमन साव टीपीसी के संपर्क में आया और कुछ समय तक टी पी सी का एरिया कमांडर राजन जी (राजन की हत्या खलारी में कर दी गई थी और उसके संपर्क में रहा।

 

 

अमन साव ने बिरसा मार्केट में चलाई गई थी गोली

वही अमन साव पर अपराधियों के द्वारा बिरसा मार्केट में गोली चलाई गई थी, जिसका बदला लेते हुए पहली बार रसदा निवासी बसंत करमाली और पी टी पी एस निवासी विक्की तिवारी को अमन साव ने हत्या कर कोयला लदे रेलगाड़ी के बोगी में डालकर भेज दिया था, जिनकी बॉडी आज तक नहीं मिली। आज जो कुख्यात अमन साव है उसे एक समय रांची के एक बड़े पुलिस अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था स्थिति यह थी कि जेल से तो मोबाइल ऑपरेट करता ही था लेकिन जेल शिफ्ट करने के दौरान भी वह मोबाइल से बात करते रहता था। वहीं कुछ समय बाद रांची पुलिस के बड़े अधिकारी की मौत हो गई थी, जब दुमका जेल से उसकी जमानत हुआ तो रामगढ़ पुलिस के द्वारा उसे जेल के बाहर से रामगढ़ लाया गया।

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