पुलिस की नौकरी छोड़, कैसे ये सब इंस्पेक्टर बन गया भोले बाबा, जिसकी सत्संग में हुई 125 लोगों की मौत, ईश्वर से मिलाने का करता था दावा

Kaun Hai Bhole BaBa: यूपी के हाथरस जिले स्थित फुलरई गांव में एक सत्संग में भगदड़ के दौरान 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं। नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के समापन पर यह हादसा हुआ। कहा जाता है, जिस बाबा के सत्संग में ये घटना घटी, वो काफी चर्चित हैं। कई नेता मंत्री उनके पैर छूते हैं। यूपी के ही कई बड़े नेता उनके सत्संग में पहुंचते हैं। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी इस बाबा के सत्संग में पहुंचे थे। इसकी तस्वीर भी उन्होने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर डाला था।

कौन है नारायण साकार उर्फ भोले बाबा

नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। दावा है कि 26 साल पहले बाबा सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे। भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं। भोले बाबा ने 26 साल पहले पुलिस विभाग से नौकरी छोड़कर सत्संग शुरू किया था। भोले बाबा के अनुयायी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में हैं।

खास बात यह है कि इंटरनेट के जमाने में अन्य साधु सतों और कथावाचकों से इतर सोशल मीडिया से दूर हैं। बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं है। कथित भक्तों का दावा है कि नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा के जमीनी स्तर पर खासे अनुयायी हैं। यूपी के अलीगढ़, हाथरस जिलों में भी नारायण साकार हरि का कार्यक्रम हर मंगलवार को आयोजित किया जाता है।

इसमें हजारों की तादाद में भीड़ उमड़ती है. इस दौरान भोले बाबा से जुड़े हजारों स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं खाने पीने से लेकर भक्तों के लिए जरूरी इंतजाम करते हैं। कोरोनकाल के दौरान प्रतिबंध के बावजूद भी भोले बाबा हजारों की भीड़ इकट्ठा करके चर्चा में आए थे। हालांकि कई बार ये भी जानकारी जानकारी आयी कि, संत बनने से पहले भोले बाबा यूपी पुलिस की नौकरी करते थे।

ये स्पष्ट नहीं है कि वो आईबी में थे या भी राज्य सरकार की खुफिया एजेंसी में। 2006 में इन्होंने यूपी पुलिस की नौकरी से वीआरएस ले लिया था और उसके बाद अपने गांव में ही रहने लगे थे। इसके बाद वह गांव-गांव जाकर भगवान की भक्ति का प्रचार प्रचार शुरू कर देते हैं और उन्हें चंदा भी मिलने लगा। धीरे-धीरे उनके सत्संग का आयोजन किया जाने लगा और वह पश्चिमी यूपी में लोकप्रिय हो गए। भोले बाबा अपनी पत्नी के साथ आसन पर बैठकर सत्संग कहते हैं। वह अक्सर सफेद रंग का सूट पैंट पहने होते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जहां भी भोले बाबा का सत्संग होता है वहां उनके अनुयायी ही पूरी व्यवस्था संभालते हैं।

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