दलबदलू नेत्रियों को वोटरों ने किया रिजेक्ट, गीता कोड़ा की हार पक्की, सीता सोरेन भी हार की राह पर, क्या भाजपा को महंगा पड़ गया ये दांव…

Voters rejected the turncoat leaders, Geeta Koda's defeat is certain, Sita Soren is also on the way to defeat, did this bet prove costly for BJP?

Loksabha Election 2024: झारखंड की सभी 14 सीटों और उपचुनाव को लेकर अब निर्णायक आंकड़े आ गये हैं। लगभग तय हो गया है कि किस सीट पर कौन प्रत्याशी जीत गया है या फिर जीतने वाला है। मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर जिसे देखा जा रहा है, वो चुनाव जीत गयी है। कल्पना सोरेन ने गांडेय उपचुनाव में जीत का परचम लहरा दिया है। वहीं लोकसभा के 14 सीटों में 8 सीटें भाजपा के खाते में जाती दिख रही है, जबकि झामुमो ने तीन और कांग्रेस ने 2 सीटों पर लीड बरकरार रखी है।

चुनाव परिणाम के इन आंकड़ों के बीच एक बात तो तय हो गयी है, झारखंड की जनता ने दलबदलुओं को बर्दाश्त नहीं किया है। गीता कोड़ा और सीता सोरेन इसका बड़ा उदाहरण है। चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर गीता कोड़ा भाजपा में शामिल हुई थी, जबकि सीता सोरेन ने अपनी परिवारिक पार्टी झामुमो को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थामा था। भाजपा ने अपनों को नजरअंदाज कर, दूसरी पार्टी से आयी दोनों नेत्रियों को टिकट भी दे दिया था।

गीता कोड़ा को जहां सिंहभूम से प्रत्याशी बनाया गया, तो वहीं मौजूदा सांसद का टिकट काटकर भाजपा ने दल बदलकर आयी सीता सोरेन के प्रत्याशी बना दिया। इन दोनों को प्रत्याशी बनाने के बाद पार्टी के अंदर बगावत भी उठी थी, हालांकि तब पार्टी की तरफ से समय के साथ सब कुछ ठीक हो जाने का दावा किया गया, लेकिन अब जब परिणाम सामने आ रहा है, तो अपनों को नजरअंदाज कर बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने का साइड इफेक्ट स्पष्ट दिख रहा है।

गीता कोड़ा की हार तो लगभगत तय हो चुकी है, वहीं सीता सोरेन के हाथ से भी भी दुमका सीट जाती दिख रही है। गीता कोड़ा अभी सिंहभूम सीट से 1 लाख 15 हजार वोटों की लीड ले ली है। यहां झामुमो की जोबा मांझी जीत रही है। वहीं सीता सोरेन की दुमका से हालत खराब है। नलिन सोरेन ने वहां से बढ़त बना ली है। हालांकि ये बढ़त बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन लगभग आखिरी चरण में पहुंच गयी काउंटिंग में 11 हजार से ज्यादा का अंतर भी अब बड़ा मायने रख रहा है। मतलब साफ है कि दल बदल कर आयी दोनों नेत्रियों का भाजपा में कदम शुभ नहीं रहा है।

गीता कोड़ा के लिए नहीं रहा सही फैसला

गीता कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं। खनन घोटाला मामले में मधु कोड़ा को जेल जाना पड़ा, तो उनकी विरासत को गीता कोड़ा ने आगे बढ़ाया. उन्होंने दो-दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और झारखंड विधानसभा के लिए नी गईं। वर्ष 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और पहली बार सिंहभूम की महिला सांसद बनने का गौरव हासिल किया। वर्ष 2009 से 2019 के बीच वह दो बार झारखंड विधानसभा चुनाव जीती। मधु कोड़ा को कोर्ट से सजा हुई, तो वह चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दे दिए गए. इसलिए कांग्रेस पार्टी ने मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा (Geeta Koda) को लोकसभा का टिकट दिया। गीता कोड़ा ने सिंहभूम की पहली महिला सांसद निर्वाचित हुईं।

वर्ष 2024 के चुनाव के ऐन पहले गीता कोड़ा ने कांग्रेस पार्टी से किनारा कर लिया और वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गईं. भाजपा ने सिंहभूम संसदीय सीट से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया. भाजपा में शामिल होने के बाद गीता कोड़ा लगातार कांग्रेस पर हमला बोल रहीं हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस देश का हित नहीं कर सकती. वह सिर्फ अपने परिवार का हित करने में लगी है।
गीता कोड़ा के पति मधु कोड़ा भाजपा के टिकट पर वर्ष 2000 में चुनाव जीतकर विधायक बने थे। बाबूलाल मरांडी की कैबिनेट में वह मंत्री भी रहे। इसके बाद अर्जुन मुंडा की कैबिनेट में उन्हंा खनन मंत्री का प्रभार दिया गया. वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। नाराज मधु कोड़ा बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव लड़ बैठे।

HPBL Desk
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