निर्जला एकादशी कब है.. जानिए इस व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.. विस्तार से
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना जाता है कहते हैं कि सालभर में आने वाली 24 एकादशी का फल मात्र सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत को करने से मिल जाता है। इसलिए सालभर की एकादशी व्रत एक तरफ और निर्जला एकादशी व्रत को एक तरफ माना जाता है। निर्जला एकादशी के दिन बिना पानी के व्रत रखने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।वही ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं साल 2022 में 10 जून को निर्जला एकाशी का व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है यह व्रत महिला और पुरुष दोनों के द्वारा किया जाता है
निर्जला एकादशी 2022 मुहूर्त
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन 10 जून को सुबह से लेकर रात 11 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र है और रवि योग सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 11 जून को तड़के 03 बजकर 37 मिनट तक है. इसके अलावा दिन का शुभ समय 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है. यह अभिजित मुहूर्त है.
निर्जला एकादशी व्रत विधि
इस व्रत में एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से लेकर अगले दिन यानी द्वादशी तक व्रत रखने वाले के द्वारा अन्न, जल इत्यादि का त्याग किया जाता है । इस दिन सर्वप्रथम भगवान विष्णु की आरती की जाती है , इसके बाद इसके मुख्य मन्त्र का जाप किया जाता है । तथा इस दिन भगवान की कथा सुनी जाती है । इसके बाद ब्राहमणों को दान देना है शुभ मन गया है , इस दिन आप गरीब लोगो दान में भोजन, वस्त्र, फल इत्यादि दान कर सकतें है । इस दिन दान का पुण्य बहुत बड़ा माना गया है ।
एकादशी का व्रत करने से क्या लाभ होता है ?
एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति स्वस्थ रहता है तथा राक्षस योनी से मुक्ति मिलती है , पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है तथा जो व्यक्ति इस व्रत को पुरे विधि विधान से करता है वो मोक्ष की प्राप्ति करता है ।
निर्जला एकादशी 2022 पारण समय
जो लोग 10 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे, वे 11 जून को पारण दोपहर में 01 बजकर 44 मिनट से शाम 04 बजकर 32 मिनट के मध्य कर लें. पारण करने से ही व्रत पूर्ण होता है
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
निर्जला एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पाप मिटते हैं, दुख और कष्ट दूर होते हैं. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है. इस दिन जल से भरा कलश, अन्न, जूता आदि का दान करना चाहिए.