सरहूल पर क्यों लगे ‘हेमंत सरकार नहीं चलेगी’ के नारे, आदिवासियों ने क्यों सिर पर बांधी काली पट्टी!
Why were slogans of 'Hemant government will not work' raised at Sarhul, why did the tribals tie black bands on their heads?

झारखंड में आज सरहूल महापर्व मनाया जा रहा है.
राज्यभर में आदिवासियों की बीच काफी हर्षोउल्लास है लेकिन इसी बीच राजधानी रांची की सड़कों पर खूब गहमा-गहमी दिखी है. आदिवासी संगठनों ने रांची की सड़कों पर हेमंत सरकार नहीं चलेगी के नारे लगाए.
सिरमटोली सरना स्थल पर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन को तीखे विरोध का सामना करना पड़ा.
महिलाओं ने सीएम की गाड़ी को घेरकर, उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
सवाल है कि सरहूल के मौके पर जब पूरे राज्य में जश्न का माहौल है तो रांची में आदिवासी क्यों सड़क पर हैं? आदिवासियों में हेमंत सोरेन सरकार को लेकर क्यों गुस्सा है? आबुआ राज की बात करने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आदिवासियों के गुस्से का सामना क्यों करना पड़ रहा है?
दरअसल, आज रांची की सड़कों पर जो कुछ भी हुआ वह पिछले 1 माह से चले आ रहे विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की पराकाष्ठा थी. विरोध, आदिवासी सरना धर्मस्थल को बचाने की. लड़ाई आदिवासी अस्तित्व की.
सीएम, पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन के साथ पहुंचे थे
दरअसल, आज जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन और कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के साथ सिरमटोली सरना स्थल पर पहुंचे तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा.
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव की अगुवाई में जुटी महिलाओं ने हेमंत सोरेन के खिलाफ नारेबाजी की.
कहा कि ये सरकार नहीं चलेगी. आंदोलन में शामिल आदिवासी महिला और पुरुषों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर उनके हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उनका कहना था कि सरना स्थल के पास सिरमटोली फ्लाईओवर का रैंप बना दिया गया है. इसकी वजह से यहां श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
अब इतनी भी जगह नहीं बची है कि कोई धार्मिक जुलूस का आयोजन किया जा सका.
ज्यादा लोग एक साथ वहां इकट्ठा भी नहीं हो सकते. प्रदर्शन कर रहे लोगों का आरोप था कि पिछले 1 माह से लगातार प्रदर्शन करने के बावजूद उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया है.
फ्लाइओवर रैंप को हमेशा के लिए हटाने की उठी मांग
गौरतलब है कि आज सरहूल महापर्व पर रैंप को अस्थायी तौर पर सरना स्थल के मुख्य द्वार के पास से हटा लिया गया था लेकिन आदिवासी संगठनों की मांग है कि उसे हमेशा के लिए हटा लिया जाये.
इनकी मांग है कि सरना स्थल की बाउंड्रीवॉल से सटकर जहां तक फ्लाईओवर का रैंप बना है, उसे पूरा हटा लिया जाये लेकिन प्रशासन केवल मुख्य द्वार के पास ही रैंप हटाने की बात कर रहा है.
गौरतलब है कि पिछले दिनों आदिवासी संगठनों ने इस मुद्दे पर विरोध जताने के लिए रांची बंद का आह्वान भी किया था जिसका मिला-जुला असर दिखा.
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है.
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव के नेतृत्व में हुआ विरोध प्रदर्शन
30 मार्च को भी पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव की अगुवाई में आदिवासी संगठन के लोग विरोध प्रदर्शन पर उतरे थे. इस विरोध प्रदर्शन में हर लिंग और आयु वर्ग के आदिवासियों ने हिस्सा लिया.
इससे पहले भी पारंपरिक पोशाक में आदिवासी छात्रा औऱ छात्राएं रैंप के विरोध में प्रदर्शन कर चुके हैं.
आज विरोध प्रदर्शन के दौरान आदिवासी नेता अजय तिर्की और पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव के बीच जुबानी जंग हुई और फिर दोनों के समर्थक आपस में भिड़ गए. पुलिस ने मौके की नजाकत को भांपते हुए तत्काल मामले को शांत कराया लेकिन, वहां अभी भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.
गीताश्री उरांव ने कहा कि राज्य में कहने को आबुआ सरकार है.
योजनाबद्ध तरीके से आदिवासी पहचान और अस्मिता से जुड़े चिन्हों को नष्ट किया जा रहा है. आदिवासियों की कोई नहीं सुन रहा है.
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी आंदोलन को समर्थन दिया
इस हंगामे में अब भारतीय जनता पार्टी के नेता भी कूद पड़े हैं.
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सिरमटोली फ्लाइओवर रैंप के खिलाफ आदिवासी समाज के लोग चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं लेकिन अब तक सरकार ने इसका समाधान निकालने की दिशा में ठोस पहल नहीं की.
उन्होंने कहा कि सरना स्थल हमारी आस्था, संस्कृति और परंपरा की पहचान है. इसे संरक्षित रखना प्रत्येक आदिवासी का कर्तव्य है, बावजूद इसके हेमंत सरकार ने आदिवासियों की आवाज नहीं सुनी.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उम्मीद थी कि वे समाज की पीड़ा समझेंगे. सरना स्थल की रक्षा करेंगे लेकिन सरकार निष्क्रिय है.
बाबूलाल मरांडी ने आबुआ सरकार को अहंकारी सरकार की संज्ञा देते हुए कहा है कि आदिवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाया जा रहा है. राज्यसभा
सांसद दीपक प्रकाश ने भी कहा है कि सरकार को आदिवासी संगठनो की मांगें माने लेनी चाहिये.
सिरमटोली फ्लाइओवर रैंप निर्माण के खिलाफ झारखंड का आदिवासी समाज लंबे समय से चरणबद्ध आंदोलन कर रहा है, लेकिन अब तक स्थायी समाधान निकालने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
सरना स्थल हमारी आस्था, संस्कृति और परंपरा की पहचान है, जिसे संरक्षित रखना हर आदिवासी का कर्तव्य है। बावजूद… pic.twitter.com/TnCCR5XnMb
— Babulal Marandi (@yourBabulal) April 1, 2025
रांची के कोकर चौक से सिरमटोली तक फ्लाइओवर निर्माण
गौरतलब है कि रांची के कोकर चौक से सिरमटोली के बीच फ्लाईओवर का निर्माण कराया जा रहा है. ॉ
फ्लाइओवर का रैंप सिरमटोली सरना स्थल के पास बना है. आदिवासी इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनका तर्क है कि रैंप बन जाने से सरना स्थल के सामने की जगह बहुत संकरी हो गयी है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा नहीं हो सकेंगे. जुलूस निकालने में परेशानी होगी.
धीरे-धीरे यहां सरना स्थल का अस्तित्व ही संकट में पड़ जायेगा.
प्रशासन मुख्य द्वार से रैंप हटाने पर राजी है लेकिन आदिवासी संगठनों की मांग है कि इसे पूरा ही हटा लिया जायेगा. अब इसे लेकर विरोध प्रदर्शन तेज है. देखिए कि सरकार क्या फैसला करती है.