"पति को माता-पिता से अलग करना पत्नी की मानसिक क्रूरता" हाईकोर्ट ने फैमली कोर्ट का आदेश पलटा

By :  HPBL
Update: 2024-06-19 17:28 GMT

Highcourt News : “पति को माता-पिता से अलग रखना पत्नी की मानसिक क्रूरता है” इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने पति को तालाक का हकदार माना है। हाईकोर्ट ने फैमली कोर्ट के आदेश को पलटते हुए तलाक की इजाजत दे दी है। पूरा मामला छत्तीसगढ़ के कबीरधाम का है, जहां  एक शख्स की शादी 22 साल पहले 2002 में हुई थी। शादी से उनकी दो बेटियां हुईं। पति का आरोप है कि पत्नी छोटी- छोटी बातों को लेकर विवाद करती थी। साथ ही बुजुर्ग माता-पिता के साथ अभद्र व्यवहार भी करती थी।

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वो सास- ससुर से अलग रहने के लिए दबाव बनाती थी। पत्नी के पिता ने सलाह दी कि वे उनके एक मकान में रह सकते हैं। इसके बाद सामाजिक बैठक हुई, इसके बाद वे दिसंबर 2013 से पत्नी और बेटियों के साथ दूसरी जगह रहने लगे। लेकिन माता पिता से अलग रहने के बाद भी पत्नी का व्यवहार नहीं बदला और वह पहले से ज्यादा मानसिक क्रूरता करने लगी।

परेशान पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगा दी। दिसंबर 2013 से वो अपनी पत्नी से अलग रहने लगा, जिसके बाद पत्नी ने सरकारी नौकरी करने वाले माता-पिता व भाई के खिलाफ थाने में झूठा केस भी दर्ज करा दिया। यही नहीं पत्नी अपने पति को बेटियों से मिलने भी नहीं दे रही है। मामले में फैमिली कोर्ट ने तलाक की अर्जी खारिज कर दी।

जिसके बाद मामले को पीड़ित ने छत्तीसगढ़ बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने माता-पिता से अभद्रता और 10 साल से पति को अलग करने पर तलाक के आवेदन को मंजूर कर लिया है। साथ ही फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए पति को तलाक का हकदार माना है।

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