बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठन का ऐलान : सभी मूर्तियों को तोड़कर इस्लामी शासन की स्थापना की मांग, कला और संगीत का विरोध

Update: 2024-08-18 05:20 GMT

ढाका। बांग्लादेशी संस्कृति में कला और संगीत का बहुत महत्व है, हालांकि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन इसका समर्थन नहीं करते हैं। ये समूह देश में शरिया कानून लागू करने की वकालत करते हैं, और कहते हैं कि सच्चा न्याय केवल इस्लामी व्यवस्था के ज़रिए ही हासिल किया जा सकता है। वर्तमान में, 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन बनकर उभरा है। इस समूह पर देश में हिंदुओं के खिलाफ़ हिंसा और मंदिरों पर हमलों का भी आरोप है। इसके अलावा, इसने 2021 में प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश यात्रा का विरोध भी किया था।

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बता दें कि, यह संगठन शेख हसीना की धर्मनिरपेक्ष नीतियों का कट्टर विरोधी रहा है, क्योंकि यह बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करना चाहता है। संगठन से जुड़े अबुल फैयाज मोहम्मद खालिद हुसैन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में धार्मिक मामलों के सलाहकार के तौर पर काम करते हैं। भारत के देवबंद में पढ़ाई कर चुके रब्बानी अहमदियों को गैर-मुस्लिम मानते हैं।

शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियों सहित सभी मूर्तियों को पूरे देश में हटाओ- कट्टरपंथी

रब्बानी ने कहा कि, उनका संगठन इस्लाम की रक्षा और लोगों को धार्मिक शिक्षा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करता है। संगठन बांग्लादेश में इस्लामी व्यवस्था स्थापित करने और लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की इच्छा रखता है। रब्बानी ने कहा कि देश में मूर्तियों के निर्माण पर रोक लगाई जानी चाहिए और सरकार को सभी मौजूदा मूर्तियों को नष्ट कर देना चाहिए। हालांकि, कैमरे के सामने उन्होंने कहा कि मंदिरों में मूर्तियों को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, रब्बानी ने जोर देकर कहा कि शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियों सहित सभी मूर्तियों को पूरे देश में हटा दिया जाना चाहिए।

भारत के हिंदुओं से किया आग्रह

कट्टरपंथी संगठन ने कहा कि, उन्हें संगीत और कला से सख्त नफरत है, और कहा कि उनके शासन में ऐसी अभिव्यक्तियाँ बर्दाश्त नहीं की जाएँगी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि महिलाओं को हिजाब के दायरे में रहना चाहिए। रब्बानी ने भारत के हिंदुओं से अपील की कि वे मुसलमानों और उनकी आस्था की उसी तरह रक्षा करें जैसे वे बांग्लादेश में मंदिरों की रक्षा कर रहे हैं। संगठन ने अंतरिम सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अभी-अभी बनी है, और वे इसके कार्यों पर नज़र रखेंगे। उन्होंने एक नई सरकार लाने का इरादा जताया जो देश पर शासन करेगी।

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