पुरानी पेंशन योजना (OPS) होगी लागू! आज हो सकता है बड़ा फैसला, 10 साल बाद पीएम मोदी करेंगे कर्मचारी संगठन से बात
नई दिल्ली। पुरानी पेंशन को लेकर सरकार की तरफ से कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद के पदाधिकारियों से मिलेंगे। लंबे समय से कर्मचारी संगठन OPS लागू करने की मांग कर रहे है। कई राज्यों में विपक्षी पार्टी इसे प्रमुख मुद्दा मान रही है।
10 साल में होगी पहली बैठक
पिछले 10 साल में यह पहली बैठक है, जिसमें प्रधानमंत्री और केंद्रीय कर्मचारियों की नेशनल काउंसिल यानी जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (JCM) के सदस्य शामिल होंगे। बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS), न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चा हो सकती है।
इस संबंध में भारत सरकार के उप सचिव प्रवीण जारगर ने परिषद के सचिव शिव गोपाल मिश्रा को पत्र लिखा है कि बैठक में परिषद के सभी पदाधिकारी उपस्थित रहें, जिससे कि उनसे जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जा सके। भाजपा के सत्ता में आने बाद प्रधानमंत्री की कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ इस तरह यह पहली बैठक होगी।
चुनावी मुद्दा तो नहीं...
माना जा रहा है कि कुछ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार पुरानी पेंशन जैसे अन्य मुद्दों पर कोई अहम फैसला ले सकती है, जिससे पहले यह बैठक बुलाई गई है। लंबे समय से कर्मचारियों की मांग रही है कि पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए।
OPS और NPS में क्या है अंतर
OPS NPS
AIDEF ने किया बैठक का बहिष्कार
रेलवे के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉई फेडरेशन (AIDEF) ने प्रधानमंत्री की बैठक का बहिष्कार किया है। AIDEF के महासचिव सी श्रीकुमार ने बताया कि संगठन PM मोदी के साथ होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेगा।
इसकी वजह ये है कि बैठक में OPS बहाली नहीं बल्कि NPS में सुधार को लेकर चर्चा होगी। संगठन पहले ही कह चुके हैं कि कर्मचारियों को OPS ही चाहिए। बता दें कि AIDEF ने 15 जुलाई को वित्त मंत्रालय की बैठक का भी बहिष्कार किया था।
कहां होगी बैठक
सात लोक कल्याण मार्ग पर होने वाली बैठक में कर्मचारियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होनी की उम्मीद है। इसमें पुराने पेंशन को लेकर भी कोई अहम फैसला हो सकती है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के आम बजट को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पेंशन में सुधार की बात कही थी। इस लिहाज से बैठक को काफी अहम माना जा रहा है।
बैठक कई मायने में अहम
सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को लेकर भी कर्मचारी यूनियन विरोध जताती आ रही हैं। रेलवे समेत तमाम सरकारी विभागों में पद खाली पड़े हैं, जिन्हें भरने को लेकर भी कर्मचारी यूनियनों की लंबे समय से मांग रही है। ऐसे में सीधे प्रधानमंत्री के साथ होने जा रही बैठक को काफी अहम माना जा रही है।