झारखंड: वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर राजनीति गरमायी, झामुमो ने कहा, लोकतंत्र कमजोर करने की है कोशिश, भाजपा बोली....

By :  Aditya
Update: 2024-09-18 17:47 GMT

One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर राजनीति गरमा गयी है। NDA और उसके घटक दल जहां इसकी तारीफ कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ UPA इसका विरोध कर रहा है। झारखंड में भी इसे लेकर राजनीति तेज हो गयी है। भाजपा ने केंद्रीय कैबिनेट के वन नेशन वन इलेक्शन के फैसले का स्वागत किया है।


भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी एक देश एक चुनाव की समर्थक रही है। वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद हम इस दिशा में आगे बढ़े हैं।

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झारखंड मुक्ति मोर्चा ने वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावना के संबंध में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की अनुशंसा को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिये जाने को अधिनायकवाद की ओर पहला कदम बताया है।

इस मामले में झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार 3.0 की उपलब्धियां गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने देश को अधिनायकवाद की ओर ले जाने का मन बना लिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा इसका पुरजोर विरोध करता है।

उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल 2026-27-28 में समाप्त हो जाएगा, क्या वहां 2029 तक चुनाव न कराकर और राष्ट्रपति शासन लगाकर भाजपा अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता हासिल करना चाहती है, यह बड़ा सवाल है।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पूरे देश में लोकतांत्रिक संस्थाएं देश की लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, जिला परिषद, ग्राम पंचायत और उसके साथ नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर परिषद के लगभग 25 लाख जनप्रतिनिधि चुनती हैं. वन नेशन वन इलेक्शन देश में जनता का प्रतिनिधित्व करने वालों के अधिकारों पर सीधा हमला है।

वह आरएसएस के एजेंडे पर आगे बढ़ रही है जो मनुवाद की सोच के साथ काम करती है. वन नेशन वन इलेक्शन के लागू होने से देश में लोकतंत्र कमजोर होगा और अधिनायकवाद बढ़ेगा. समाजवाद की जगह साम्राज्यवाद स्थापित होगा।

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