BJP की कई राज्यों में हो रही है पकड़ कमजोर, क्या ये गिरते भरोसे का है संकेत
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन को लेकर चर्चाएं अभी खत्म नहीं हुई हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 7 राज्यों की 13 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी घोषित हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस ने दो-दो सीटों पर जीत हासिल की, वहीं पश्चिम बंगाल की सभी चार सीटों पर TMC विजयी हुई। अब देखना यह है कि उपचुनावों में मिली इस निर्णायक हार का आगामी महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों पर क्या असर पड़ता है।
वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि ध्रुवीकरण की राजनीति को एक बार फिर झटका लगा है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड की सीट UCC लागू होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में थी, जबकि बद्रीनाथ जैसी सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। वहीं पश्चिम बंगाल में दलितों और आदिवासियों ने भारतीय जनता पार्टी के बजाय TMC को वोट दिया।
CAA के बाद भी भाजपा को जनता ने नकारा
CAA लागू होने के बावजूद भाजपा नहीं बल्कि TMC विजयी हुई। जो उम्मीदवार पहले भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, वे इस उपचुनाव में भी TMC के टिकट पर खड़े हुए, लेकिन जनता ने भाजपा को नकार दिया।
BJP को नए हथियार की जरूरत
वरिष्ठ पत्रकार का सुझाव है कि भारतीय जनता पार्टी को एक नई रणनीति की जरूरत है। पुरानी रणनीति अब काम नहीं आएगी और भाजपा उनके साथ कहीं भी जीत हासिल नहीं कर पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ममता बनर्जी केवल नाम के लिए भारत गठबंधन की प्रमुख सहयोगी हैं। जबकि TMC ने लोकसभा चुनाव में किसी के साथ चुनाव नहीं लड़ा था, उपचुनाव में चार सीटों पर जीत के बाद, यह संभव है कि ममता बनर्जी भारत गठबंधन का नेतृत्व करने की कोशिश करें।
टीडीपी और बिहार की डिमांड नहीं हुई पूरी तो क्या होगा?
वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि बजट सत्र भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी परीक्षा है। देखना यह है कि वह टीडीपी और बिहार की मांगों को कैसे पूरा करती है। अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो खेल अलग मोड़ लेगा।