झारखंड में महंगाई भत्ता बढ़ेगा या नहीं ? बिना कैबिनेट के क्या बढ़ सकता है DA? आचार संहिता में क्या महंगाई भत्ता पर हो सकता है फैसला? पढ़िये इन सवालों का जवाब

By :  Aditya
Update: 2024-10-16 15:09 GMT

Jharkhand DA News: झारखंड में महंगाई भत्ता कब बढ़ेगा ? क्या दीपावली के पहले झारखंड के कर्मचारियों को DA की सौगात मिलेगी? क्या बिना कैबिनेट महंगाई भत्ता बढ़ाया जा सकता है? क्या आचार संहिता में कर्मचारियों के लिए फैसले लिये जा सकते हैं? केंद्र सरकार ने जब से महंगाई भत्ता को बढ़ाकर 50 प्रतिशत से 53 प्रतिशत किया है, तभी से झारखंड के लाखों कर्मचारियों व अधिकारियों के जेहन में ये सवाल उठ रहा है।


HPBL न्यूज पर केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता बढ़ने की खबर पोस्ट होने के बाद कई कर्मचारियों ने सोशल मीडिया के जरिये ये सवाल पूछा कि, झारखंड में कब महंगाई भत्ता बढ़ेगा? आइये आपके इन सवालों का हम जवाब देने की कोशिश करते हैं।

बिना कैबिनेट के भी बढ़ सकता है महंगाई भत्ता

चुनाव आयोग की तरफ से तारीख के ऐलान के साथ ही झारखंड में आचार संहिता लग गया है। जाहिर है आचार संहिता के दौरान सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकती। ना तो वो कैबिनेट बुला सकती है और ना ही कोई घोषणा कर सकती है। लेकिन, आपको जानकारी दे दूं, कि बिना कैबिनेट के भी महंगाई भत्ता बढ़ाया जा सकता है।


हालांकि बिना कैबिनेट के महंगाई भत्ता या अन्य फैसला लेने की आचार संहिता के दौरान एक प्रक्रिया होती है। उस प्रक्रिया का पालन करना होगा, तभी राज्य के संदर्भ में कोई निर्णय लिया जा सकता है।

चुनाव आयोग को भेजना होगा प्रस्ताव

आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग सुप्रीम होता है। लिहाजा, राज्य के संदर्भ में कोई भी निर्णय बिना चुनाव आयोग की अनुमति से नहीं लिया जा सकता है। महंगाई भत्ता के संदर्भ में भी चुनाव आयोग से अनुमति जरूरी होगी। इसे लेकर राज्य के मौजूदा प्रमुख यानि चीफ सेकरेट्री (आचार संहिता के दौरान) की तरफ से चुनाव आयोग को कर्मचारियों के महंगाई भत्ता बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भेजा जायेगा।

चुनाव आयोग उस प्रस्ताव पर विचार करेगा। अगर आयोग को ये लगेगा कि महंगाई भत्ता में बढ़ोत्तरी किया जाना चाहिये, तो वो उसकी स्वीकृति दे देगा, अगर उसे लगेगा कि ये फैसला चुनाव के बाद किया जाना चाहिये, तो वो प्रस्ताव को वापस कर देगा।

मुख्यमत्री चाहकर भी नहीं बढ़ा सकते DA

यहां ये जानकारी आपके लिए जरूरी है कि आचार संहिता तक मुख्यमंत्री का पावर शून्य हो जाता है। वो चाहकर भी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता बढोत्तरी या अन्य कोई फैसला नहीं ले सकते हैं। वो सिर्फ अनुरोध चुनाव आयोग से कर सकते हैं। लेकिन आखिरी फैसला चुनाव आयोग का ही होगा, कि कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया जाये या नहीं।

2023 में नहीं बढ़ पाया था महंगाई भत्ता

अक्टूबर-नवंबर को जब पिछले साल छत्तीसगढ़- मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना सहित 5 राज्यों में चुनाव था। तो उस दौरान भी केंद्र सरकार ने चार प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाया था। उस दौरान 42 प्रतिशत से 46 प्रतिशत DA किया गया था। राज्यों में भी महंगाई भत्ता देने की बात उठने लगी। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव ने चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा।


चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश को पहले स्वीकृति दे दी, जिसकी वजह से मध्यप्रदेश में आचार संहिता के दौरान ही महंगाई भत्ता बढ़ गया, लेकिन छत्तीसगढ़ में चुनाव तक महंगाई भत्ता नहीं बढ़ पाया। छत्तीसगढ़ में जब नयी सरकार बनी, तब जाकर महंगाई भत्ता बढ़ोत्तरी की घोषणा की गयी। ऐसे में झारखंड के संदर्भ में क्या निर्णय लिया जाता है, इस पर सभी की नजर होगी।

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