मोदी सरकार ने 'लेटरल एंट्री' पर फैसला लिया वापस, राजनीतिक विरोध के बीच UPSC के विज्ञापन पर लगाई रोक

Update: 2024-08-20 12:33 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री पर फैसला वापस ले लिया है। इसी के साथ 17 अगस्त को UPSC द्वारा निकाले गए विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। केंद्र सरकार अब लेटरल एंट्री में आरक्षण लाने का विचार कर रही है। लेटरल एंट्री में OBC/SC/ST के लिए आरक्षण लाया जा सकता है।

कोई आरक्षण नहीं

यूपीएसी ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों में 45 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। इसमें लेटरल एंट्री के माध्यम से ही सभी पदों को भरा जाना था। लेटरल एंट्री की भर्ती में कोई आरक्षण नहीं होता है। इसको लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई थी।

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24 मंत्रालयों में होनी थी लेटरल एंट्री से भर्ती

यूपीएससी ने हाल ही में एक विज्ञापन जारी किया था। इसमें केंद्र सरकार के भीतर विभिन्न वरिष्ठ पदों पर लेटरल एंट्री जरिए नियुक्ति होनी थी। इन पदों में 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद शामिल थे। इनमें कुल 45 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे।

राहुल गांधी और NDA नेताओं ने भी खड़े किए थे सवाल

नौकरशाही में लेटरल एंट्री से एक नई बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और सपा सांसद अखिलेश यादव ने आरक्षण के मुद्दे पर सवाल खड़े कर दिए थे। एनडीए सरकार के नेतास चिराग पासवना ओर केसी त्यागी भी लेटरल एंट्री के विरोध में बोल रहे थे।

क्या है लेटरल एंट्री?

लेटरल एंट्री को सीधी भर्ती भी कहा जता है। इसमें उन लोगों को सरकारी सेवा में लिया जाता है, जो अपनी फील्ड में काफी माहिर होते हैं। ये IAS-PCS या कोई सरकारी कैडर से नहीं होते हैं। इन लोगों के अनुभव के आधार पर सरकार अपने नौकरशाही में इन्हें तैनात करती है।

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