अमित शाह का ऐलान : 'आतंकवाद को इतनी गहराई में दफन करेंगे कि वह कभी लौट नहीं पाएगा' - किश्तवाड़ से मजबूत संदेश

Update: 2024-09-16 13:16 GMT


जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह ने किश्तवाड़ में एक रैली को संबोधित किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने विभाजन के दिनों और 1990 के आतंकवाद के दौर को याद किया और चंद्रिका शर्मा और परिहार बंधुओं जैसे लोगों के बलिदान को याद किया।अमित शाह ने कहा कि, "आज मैं जम्मू-कश्मीर समेत इस क्षेत्र के लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि, हम आतंकवाद को इतनी गहराई से दफना देंगे कि वह कभी उभरकर सामने नहीं आएगा। 1990 की तरह ही यहां भी आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की कोशिशें जारी हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने कुछ वादे किए हैं कि अगर वे सत्ता में आए तो आतंकवादियों को रिहा कर देंगे।"

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अनुच्छेद 370 का हटना, अब इतिहास का एक अध्याय बन गया

शाह ने कहा कि, आज मैं यह दावा करता हूँ कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की धरती पर आतंकवाद को बढ़ावा देने की हिम्मत रखने वाला कोई नहीं है। अनुच्छेद 370 का हटना अब इतिहास का एक अध्याय बन गया है। अब भारत के संविधान में अनुच्छेद 370 का कोई प्रावधान नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में अब दो संविधान, दो नेता या दो झंडे नहीं हो सकते। एकमात्र झंडा हमारा प्यारा तिरंगा होगा। जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव स्पष्ट रूप से दो ताकतों के बीच मुकाबला है: एक तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस है, जबकि दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी है।

'विकसित कश्मीर' की कल्पना करते है पीएम मोदी

अमित शाह ने कहा कि, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का दावा है कि अगर वे सत्ता में आए तो वे अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान में पहाड़ी और गुज्जर समुदायों को दिया जाने वाला आरक्षण अनुच्छेद 370 के तहत संभव नहीं होता। जहां इन पार्टियों का लक्ष्य आतंकवाद से लैस जम्मू-कश्मीर बनाना है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी एक 'विकसित कश्मीर' की कल्पना करते हैं।

'जब घाटी खून से लथपथ हो रही थी, तब वे कहां थे?'

गृह मंत्री ने कहा कि, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने लगातार आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। जब भी घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार रही है, आतंकवाद में बढ़ोतरी हुई है। 1990 के दशक को याद करें, मैं उस समय मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला से पूछना चाहता हूं कि जब राजीव गांधी के साथ समझौते के जरिए सत्ता में आने के बाद हमारी घाटी खून से लथपथ हो रही थी, तब वे कहां थे।

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