महिला कर्मचारियों को मिलने वाले मातृत्व अवकाश पर हाईकोर्ट ने पूछा सवाल, तीसरे बच्चे का क्या दोष ?

केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 43 के अनुसार, कोई महिला सरकारी कर्मचारी शुरुआती दो बच्चों के जन्म के समय दोनों बार 180 दिन की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार है।

By :  HPBL
Update: 2024-07-23 20:25 GMT

maternity leave:महिलाओं को मिलने वाले मातृत्व अवकाश को लेकर हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि तीसरे बच्चे को जन्म के तुरंत बाद और शिशु अवस्था के दौरान मातृ स्पर्श से वंचित रखा जाना ठीक नहीं है, क्योंकि नियम 43 के अनुसार उस बच्चे की मां से यह अपेक्षा की जाती है कि वह जन्म के अगले ही दिन ड्यूटी पर लौट आए। यह उचित नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को सीसीएस (अवकाश) नियम पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है, जिसके तहत महिला सरकारी कर्मचारियों को पहले दो बच्चों के जन्म के समय मातृत्व अवकाश दिया जाता है। हाईकोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि तीसरे और उसके बाद के बच्चों का क्या दोष है, जिन्हें उस मातृ देखभाल से वंचित होना पड़ता है, जो पहले दो बच्चों को मिली थी।

"
"


केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 43 के अनुसार, कोई महिला सरकारी कर्मचारी शुरुआती दो बच्चों के जन्म के समय दोनों बार 180 दिन की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार है। अदालत ने कहा तीसरे बच्चे को जन्म के तुरंत बाद और शिशु अवस्था के दौरान मातृ स्पर्श से वंचित रखा जाना ठीक नहीं है, क्योंकि नियम 43 के अनुसार उस बच्चे की मां से यह अपेक्षा की जाती है कि वह जन्म के अगले ही दिन ड्यूटी पर लौट आए।


अदालत ने ये उठाये सवाल

अदालत ने कहा, “यह याद रखना महत्वपूर्ण होगा कि किसी गर्भवती महिला के शारीरिक व मनोवैज्ञानिक परिवर्तन एक समान रहते हैं, चाहे वह पहली दो गर्भवास्था के दौरान हों, या तीसरे या उसके बाद की गर्भावस्था के दौरान। इसके अलावा, बाल अधिकारों के दृष्टिकोण से इस मुद्दे पर गौर करने पर हम पाते हैं कि सीसीएस (अवकाश) नियमों के तहत नियम 43 एक महिला सरकारी कर्मचारी के पहले दो बच्चों और तीसरे या बाद के बच्चे के अधिकारों के बीच एक अनुचित भेद पैदा करता है। इससे तीसरे और बाद के बच्चे को उस मातृ देखभाल से वंचित होना पड़ता है, जो पहले दो बच्चों को मिली थी।”


कोर्ट ने दिया ये निर्देश

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरीश कठपालिया की बेंच ने कहा कि तीसरा बच्चा पूरी तरह असहाय है, इसलिए न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह हस्तक्षेप करे। बेंच केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें पुलिस को तीसरे बच्चे को जन्म देने वाली महिला कांस्टेबल को मातृत्व अवकाश देने का निर्देश दिया गया था। महिला के पुलिस में भर्ती होने से पहले दो बच्चे थे। इसके बाद उसकी पहली शादी टूट गई और दोनों बच्चे अपने पिता के पास रहने लगे। दूसरी शादी से उसे तीसरा बच्चा हुआ, लेकिन मातृत्व अवकाश के लिए उसका आवेदन खारिज कर दिया गया।





Tags:    

Similar News