झारखंड में कैबिनेट के इस फैसले की जांच करायेगी भाजपा, आकस्मिकता निधि के खर्च पर भाजपा हुई गरम, दे दी चेतावनी
रांची। झारखंड में अगली सरकार किसकी बनेगी? झामुमो सत्ता में लौटेगी या फिर भाजपा वापसी करेगी? इस सवाल का जवाब तो चुनाव के परिणाम के बाद ही मिलेगा, लेकिन राजनीतिक दलों का अंदाज अभी से ही सत्ता में लौटने और सरकार बना लेने वाला जैसा दिखने लगा है।
भाजपा जिस दावेदारी के साथ गोगो दीदी योजना का फार्म भरा रही है या फिर बाबूलाल मंराडी अफसरों को चेता रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि भाजपा पूरी तरह से कांफिडेंट है कि सरकार तो उन्ही की बनेगी।
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भाजपा ने अब इस मामले में दो कदम आगे बढ़कर और नया दांव चल दिया है, वो कह रही है कि सत्ता में आते ही वो आकस्मिकता निधि से 80 करोड़ के खर्च की जांच करेगी। नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सोशल मीडिया हैंडल X पर पोस्ट किया है कि "मियां-बीवी" के झारखंड सरकार ने अपना चेहरा चमकाने के लिए आकस्मिकता निधि से 80 करोड़ के प्रचार प्रसार के व्यय को कैबिनेट के माध्यम से पारित किया है।
आकस्मिकता निधि के नियम और किन परिस्थितियों में उसका इस्तेमाल होता है, वह भी जानिए : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 267(2) के मुताबिक, हर राज्य सरकार को आकस्मिकता निधि स्थापित करने की ज़िम्मेदारी है। यह निधि, राज्यपाल के पास होती है। राज्यपाल, राज्य विधानमंडल से मंजूरी मिलने से पहले, अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए इस निधि से अग्रिम राशि ले सकते हैं।
निधि से जुड़ी कुछ खास बाते • आकस्मिकता निधि, आपात स्थितियों में इस्तेमाल की जाने वाली धनराशि होती है, इसका मकसद, राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान वित्तीय क्षमता को स्थिर रखना होता है। आकस्मिकता निधि से जुड़े नियम, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें तय करती हैं। इनकी रकम, राज्य विधानसभाओं तय करती हैं.
भाजपा सरकार आएगी और जांच जरूर होगी। ... अगर हेमंत सरकार चाहती तो इस फंड का इस्तेमाल राज्य की अन्य योजनाओं के लिए भी की जा सकती थी, लेकिन उन्होंने प्रचार प्रसार को चुना... यही है इनकी नियत और नीति ।