कैबिनेट ब्रेकिंग: पारा शिक्षकों सहित इन शिक्षकों व कर्मचारियों को हेमंत सरकार की बड़ी सौगात, मंईया सम्मान योजना अब 2500, पढ़िये हेमंत कैबिनेट के बड़े फैसले

By :  Ashrita
Update: 2024-10-14 13:10 GMT

Hement Cabint: हेमंत कैबिनेट की अहम बैठक में आज कई प्रस्तावों पर मुहर लगी। सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की राशि 1000 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी. इस वर्ष दिसंबर महीने से महिलाओं को बढ़ी हुई राशि उनके खाते में भेजी जाएगी।

कैबिनेट ने पारा शिक्षकों सहित, कस्तुरबा आवासीय विद्यालय, संकुल साधनसेवी सहित कर्मचारियों के लिए बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि अब इन सभी कर्मियों को कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ मिलेगा। कैबिनेट ने आज इस प्रस्ताव पर मुहर लग गयी। इस फैसले के प्रदेश के हजारों पारा शिक्षकों सहित अन्य शैक्षिक और गैर शैक्षिक कर्मचारियों को लाभ होगा।

कैबिनेट ने इस बात का फैसला लिया है कि पुलिस विभाग की तरफ से जो हेलीकाप्टर का संचालन हो रहा है। उसके पायलट, टेक्निशियन अन्य स्टाफ को मानदेय के अलावे अन्य सुविधा भी दी जायेगी।

आज उच्च शिक्षा विभाग के तहत कई बड़े फैसले लिये गये। इसमें उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधारने के लिए अगले तीन वर्षों के लिए 20 करोड़ की राशि को कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

वहीं गोड्डा जिले के ठाकुरगंगटी में डिग्री कालेज के लिए 40 करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी है। वहीं बहरागोड़ा में महिला कॉलेज का निर्माण होगा। इसके लिए 40 करोड़ की स्वीकृति दी गयी है।

गुरुजी क्रेडिट कार्ड में संशोधन पर कैबिनेट की मुहर लगी है। पात्रता नियम में संशोधन किया गया है। जिसके तहत झारखंड के स्थानीय निवासी ने अगर दूसरे राज्यों से भी 10वीं-12वीं की पढ़ाई की है, तो उन्हें भी योजना का लाभ मिलेगा। पहले सिर्फ झारखंड से पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए ये योजना लागू थी।

वहीं रिमपास के लिए निदेशक की नियुक्ति के प्रस्ताव में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के बाद झारखंड के रिमपास में वर्षों से डायरेक्टर के खाली पद भरे जा सकेंगे।

वहीं इंजीनियरिंग कालेज के निर्माण के लिए राशि पर कैबिनेट ने मुहर लगायी है।

चुनाव के पहले एक बड़ा दांव खेलते हुए हेमंत सरकार ने फैसला लिया है कि असम के चाय बगानों में काम कर रहे झारखंड के आदिवासियों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सुविधा दी जायेगी। इसे लेकर आदिम जाति कल्याण मंत्री की अगुवाई में एक सर्वदलीय कमेटी बनेगी। दरअसल आजादी के समय ही झारखंड सहित देश के अलग-अलग राज्यों से 70 लाख मजदूर असम गये थे। इसमें से झारखंड के 15 लाख मजदूर शामिल हैं। उन्हें अभी तक अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पाया है। उन्हें ओबीसी का ही लाभ मिल रहा है। आज झारखंड सरकार उन आदिवासी मजदूरों को भी अनुसूचित जनजाति का लाभ दिलाने सहित अन्य सुविधा दिलाने की कवायद कर रही है।

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