झारखंड: …जानिये क्या है वो आर्टिकल 142, जिस पावर से तहत सुप्रीम कोर्ट ने ISM में दिलाया छात्र को एडमिशन

By :  Ashrita
Update: 2024-09-30 14:19 GMT

धनबाद। फीस की वजह से IIT ISM ने जिस छात्र का दाखिला लेने से इंकार कर दिया था, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब छात्र को दाखिला मिल जायेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत मिले पावर का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी आईएसएम को आदेश दिया है कि वह उत्तर प्रदेश के दलित छात्र का दाखिला ले। स्टूडेंट को एडमिशन दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस विशेष अधिकार का इस्तेमाल किया।

छात्र अतुल कुमार यूपी के रहने वाले हैं, जिसने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास की थी, लेकिन, आईआईटी धनबाद ने उसका एडमिशन लेने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह समय पर फीस के 17500 रुपए का भुगतान नहीं कर पाया। जिसके बाद छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने आईआईटी धनबाद को सोमवार को निर्देश दिया कि ऐसे मेधावी छात्र को एडमिशन से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि उसे हर हाल में एडमिशन मिलना चाहिये। पिछड़े समूह से आने वाले किसी भी प्रतिभावान छात्र को दाखिले से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

क्या होता है आर्टिकल 142 में विशेष प्रावधान

छात्र अतुल के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस्तेमाल किये गये आर्टिकल 142 को लेकर अब चर्चाएं शुरू हो गया है। लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं। तो आइये हम आपको बता दें...दरअसल आर्टिकल 142 भारत के संविधान की एक धारा है. इसके तहत सुप्रीम कोर्ट को अपार शक्तियां प्राप्त है। किसी को न्याय दिलाने के लिए भारत के संविधान की यह धारा सुप्रीम कोर्ट को कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है।

इस आर्टिकल के तहत सुप्रीम कोर्ट जो आदेश पारित करेगा, वह देश भर में मान्य होगा। सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार मिल जाता है कि वह कोई आदेश पारित करे, जो विधिसम्मत हो या राष्ट्रपति के द्वारा निर्धारित तरीके से लागू करने योग्य हो। आर्टिकल 142 में प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट किसी को भी कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश जारी करसकता है। सुप्रीम कोर्ट किसी मामले की जांच या दस्तावेज उपस्थापित करने का आदेश दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट को इस आर्टिकल के तहत यह भी अधिकार मिल जाता है कि वह किसी मामले में अवमानना की जांच करे या किसी को दंडित कर सके।

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