झारखंड के 104 स्कूलों में एक भी बच्चों का नहीं हुआ एडमिशन, बाबूलाल मरांडी ने प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के भयावह आंकड़े गिनाये...

By :  HPBL
Update: 2024-07-12 17:00 GMT

रांची। चुनाव करीब है, ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने सामने हैं। भाजपा युवाओं के रोजगार और शिक्षा के साथ-साथ चेंज डेमोग्राफी के मुद्दे पर काफी हमलावर है। प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रदेश में शिक्षा के स्तर पर हेमंत सरकार को कटखरे में खड़ा किया है। बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर गिरता चला जा रहा है और यह फरेबी सरकार केवल पेपर लीक कराने, नियुक्तियों में देरी करने, सहायक पुलिस को प्रताड़ित करने, बेरोजगारी दर बढ़ाने, और बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने में लगी हुई है। हाल ही में आए शिक्षा से जुड़े एक चौकाने वाले आंकड़े (2023-24) के अनुसार- प्रदेश के 7.25 लाख बच्चों ने स्कूल से नाम कटा लिया है और कहीं दाखिला भी नहीं लिया।

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प्रदेश के 104 स्कूलों में एक भी बच्चे ने नाम नहीं लिखवाया है। केंद्र सरकार द्वारा इसका कारण पूछे जाने पर झारखंड की मौजूदा सरकार ने चुप्पी के अलावा कोई जवाब नहीं दिया। देंगे भी कैसे? अपनी गलतियों को खुद उजागर भला कैसे कर दे? बच्चों का स्कूल छोड़ना एक बहुत ही गंभीर समस्या है जो शिक्षा प्रणाली की तथा नाकाम सरकार की कमजोरियों को दर्शाता है। झारखंड में बच्चे स्कूल छोड़ रहे है क्योंकि:-

• विद्यालयों में है खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर और सीमित संसाधन।

• बढ़ते अपराध के कारण बच्चों को स्कूल जाने में लग रहा है डर।

• छात्राओं को परिजन नहीं भेजना चाह रहे हैं स्कूल, क्योंकि प्रदेश में लड़कियां नहीं है सुरक्षित।

• बढ़ती बेरोजगारी को देख बच्चे भी हो रहे हैं हताश।

• मिड डे मील में मिल रहा खाना, नहीं है उनके लिए पौष्टिक

• घोटालों से नियुक्त किए शिक्षकों को नहीं आता शिक्षण कार्य।

पैसे लेकर की जाने वाली नियुक्तियों से है छात्रों के भविष्य को खतरा। आज प्रदेश के बच्चों व परिवारजनों का विद्यालयों से विश्वास उठ चुका है। उन्हें लगता है कि अगर पढ़ लिख कर भी इन नौजवानों की तरह सड़क पर आंदोलन करना पड़ेगा तो वे बिन पढ़े ही मजदूरी कर अपना पेट पाल लेंगे। स्कूल, छात्रों को शिक्षित करने के साथ-साथ सशक्त और अनुशासित भी बनाता है। शिक्षा से ज्ञान, कौशल और सोचने की क्षमता विकसित होती है। अगर प्रदेश के बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिलेगी तो प्रदेश का विकास होना असम्भव है। ऐसे में ये अतिआवश्यक है कि इन बच्चों का दाखिला वापस से किया जाए और इन्हें सरकार द्वारा अच्छी शिक्षा दी जाए।

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