चंपाई अकेले नहीं चार और मंत्री नहीं पूरा कर सके अपना कार्यकाल, कोई कोराना की वजह से, तो कोई जेल जाने की वजह से नहीं रह सका पूरे 5 साल मंत्री
रांची। झारखंड में राजनीति गरम है। चंपाई सोरेन आज झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे हैं। चंपाई सोरेन ने बुधवार को ही झारखंड मुक्ति मोर्चा और कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। चंपाई सोरेन बहुत अनलकी रहे, जो ना तो मुख्यमंत्री और ना ही मंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
हालांकि सिर्फ चंपाई सोरेन ही नहीं हेमंत कैबिनेट के कई और मंत्री भी है, जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। कुछ जेल में जाने की वजह कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, तो कुछ की आसामयिक मौत हो गयी। जबकि कुछ ने राजनीतिक वजहों से त्याग पत्र दिया। आईये जानते हैं कि आखिर वो कौन-कौन हैं, जो कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
कोरोना ने दो मंत्रियों की ली जान
हेमंत सरकार में सबसे सीनियर मंत्री हाजी हुसैन अंसारी की आसमयिक मौत हो गयी। कोरोना का शिकार हुए हाजी हुसैन अंसारी की तबीयत बिगड़ी और फिर उन्हें नहीं बचाया जा सका। उनके निधन के बाद मधुपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे हफीजुल हसन की जीत हुई। हालांकि इससे पहले ही उन्हें मंत्री बना दिया गया था।
वहीं कोरोना के एक अन्य मंत्री की जान गयी, वो थे जगरनाथ महतो। शिक्षा मंत्री रहे जगरनाथ महतो का इलाज काफी दिनों तक चला, वो ठीक भी हुए, काम पर भी लौटे, लेकिन उनकी उनकी तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गयी। जगरनाथ महतो के निधन से रिक्त हुई डुमरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें उनकी पत्नी बबीता देवी को जीत मिली। उन्हें भी मंत्री बनाया गया।
जेल जाने की वजह से आलमगीर को देना पड़ा इस्तीफा
वहीं करोड़ों के घोटाले में ईडी ने कुछ माह पहले ही कांग्रेस विधायक व मंत्री आलमगीर आलम को गिरफ्तार किया था। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने जेल जाने के बाद पद छोड़ दिया। आलमगीर आलम की जगह इरफान अंसारी तथा बादल की जगह दीपिका पांडेय सिंह को मंत्री बनाया गया।
अब चंपाई सोरेन ने दिया इस्तीफा
वहीं चंपाई सोरेन ने अब इस्तीफा दिया है। वो ना तो मुख्यमंत्री और ना ही मंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा कर सके। चंपाई सोरेन ने राजनीतिक वजहों से पार्टी छोड़ी। झामुमो की अनदेखी से वो नाराज चल ही रहे थे, बेटे के लिए राजनीतिक भविष्य झामुमो में नहीं देखने की वजह से उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया है।
बादल पत्रलेख को हटाया गया
हेमंत सोरेन की दूसरी पारी में बादल पत्रलेख जगह नहीं बना सके। कृषि मंत्री रहे बादल पत्रलेख को कांग्रेस की तरफ से मंत्री पद की लिस्ट से बाहर किया गया, जबकि उनकी जगह दीपिका पांडेय और इरफान अंसारी को मंत्रीमंडल में मौका मिला।