झारखंड: पारा शिक्षकों के नियमितिकरण पर राजनीति गरमायी, भाजपा बोली, सिर्फ "मीटिंग-मीटिंग" खेलने का काम कर रही सरकार

By :  Aditya
Update: 2024-08-06 16:02 GMT

रांची। असम में हुए पारा शिक्षकों के नियमितिकरण की गूंज झारखंड में भी सुनायी पड़ रही है। भाजपा ने पारा शिक्षकों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को निशाने पर लिया है। भाजपा नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा है कि झारखंड सरकार अपने वायदे के विपरीत पारा


शिक्षकों के साथ सिर्फ "मीटिंग-मीटिंग" खेलने का काम कर रही है। दूसरी तरफ असम में मुख्यमंत्री ने 35 हजार 153 शिक्षकों को नियमित करने का फैसला लिया है। इसे कहते हैं नियत और नीति में फर्क ।

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अमर कुमार बाउरी ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि नियत और नीति का फर्क देखिए : एक तरफ लोकप्रिय मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम की भाजपा सरकार ने 5 वर्षों से सेवा दे रहे अनुबंधित "समग्र शिक्षा असम" के पारा शिक्षकों को बिना परीक्षा के औपचारिकता के बिना नियोजित करने का फैसला लिया है।

इसके लिए कुल 35,153 पदों का सृजन किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर झारखंड सरकार अपने वायदे के विपरीत पारा शिक्षकों के साथ सिर्फ "मीटिंग-मीटिंग" खेलने का काम कर रही है।

झारखंड में पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापक) के प्रति सरकार असंवेदनशील है, मकसद सिर्फ कैसे भी इन्हें फिर ठग कर वोट लेना है। मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा को इस निर्णय के लिए बहुत-बहुत बधाई । आपको बता दें कि 5 साल के पारा शिक्षक के तौर पर असम में काम करने वाले शिक्षकों को सरकार ने नियमित करने का फैसला लिया है।

इसे लेकर दिशा निर्देश भी राज्य सरकार की तरफ से सार्वजनिक तौर पर जारी कर दिया है। असम सरकार ने 12 अगस्त तक शिक्षकों को आनलाइन आवेदन करने को कहा है।

पारा शिक्षकों ने वादाखिलाफी का लगाया है आरोप

झारखंड में राज्यभर के पारा शिक्षक हेमंत सोरेन सरकार की वादाखिलाफी से नाराज हैं। पारा शिक्षकों का कहना है कि दिवंगत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने उनसे जो वादा किया था, सरकार ने आज तक उसे पूरा नहीं किया। उन्हें नियमित करने का वादा किया गया था, लेकिन इस दिशा में सरकार ने अब तक कोई पहल नहीं की है।

पारा शिक्षक वेतनमान के साथ-साथ राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. आंदोलनकारी पारा शिक्षकों ने सरकार को मार्च महीने तक का अल्टीमेटम दिया था. सरकार ने अब तक पारा शिक्षकों की मांग पर फैसला नहीं लिया है।

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