चंपाई की जासूसी पर झारखंड की राजनीति गरमायी, हाईकोर्ट के जज से मामले की जांच कराने की उठ रही है मांग

By :  Aditya
Update: 2024-08-28 17:41 GMT

रांची। चंपाई सोरेन की जासूसी को लेकर झारखंड की सियासत गरम हो गयी है। झामुमो ने ऐसी जासूसी की बातों को जहां सिरे से खारिज किया है, तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा इस मुद्दे पर हमलावर है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस झारखंड मुक्ति मोर्चा की गठबंधन सरकार पर जहां निशाना साधा है, तो वहीं दूसरी तरफ मामले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराने की मांग की है।


बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सोरेन, औरंगजेब के नक्शेकदम पर चलते हुए सत्ता के लिए नीचता की सारी पराकाष्ठा पार कर चुके हैं। औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने पिता शाहजहां को कैद में रखा था।

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ठीक उसी प्रकार हेमंत सोरेन भी अपने पितातुल्य चंपई सोरेन जी की जासूसी करा के अपनी सत्ता बचाए रखना चाहते हैं। जानकारी तो यहां तक मिल रही है कि हेमंत सरकार पुलिस तंत्र का दुरुपयोग कर सिर्फ विरोधी नेताओं और कैबिनेट मंत्री की ही नहीं, बल्कि जजों की भी जासूसी करा रही है।

मैं, सरकार से इस गंभीर मामले की जॉंच माननीय उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित कमेटी से कराने की मॉंग करता हूँ।

वहीं नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा है कि जासूसी कराना बेहद सनसनीखेज और संविधान विरोधी कृत्य है। श्री चम्पई सोरेन जी की अपनी ही सरकार पिछले कई महीनों से जासूसी कर रही थी।

स्पेशल ब्रांच के दो अधिकारियों को चंपाई सोरेन का पीछा करते दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में पकड़ा है। जिन्होंने उच्च अधिकारियों व राजनेता के निर्देश पर ऐसा करने की बात कबूली है।

हैरानी की बात यह है कि इस प्रकरण में एक महिला के भी संलिप्त होने की बात सामने आयी है। ऐसा तो मुग़ल काल में होता था जब लोग सत्ता के लिए अपने सगे सम्बन्धियों तक की बलि चढ़ाने को तैयार रहते थे। क्या झारखण्ड में एक परिवार "संविधान व संस्थानों" से भी बड़ा हो गया है

हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा चंपाई की जासूसी कराने के आरोपों को खारिज किया है। झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने कहा है कि झूठ बोल-बोल कर भाजपा के नेताओं ने पूरे देश का बेड़ा गर्क करके रखा हुआ. ठगी, झूठ और उपद्रव जैसे चाल, चरित्र और चेहरा रखने वाली भाजपा एक्सपोज हो गई है।


भाजपा के नेताओं को देश से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी बयान से यह साफ हो गया है कि दिल्ली में झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के दो एसआई इसी कार्य के निर्वहन के दौरान गलत फहमी के कारण निरूद्ध हुए थे, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया.


पुलिसकर्मियों का पदस्थापन सुरक्षा के लिए किया गया था. वह किसी व्यक्ति विशेष की जासूसी नहीं कर रहे थे।चंपाई सोरेन की जासूसी की तथ्यहीन सूचना सिर्फ फरेब के लिए फैलाई है।

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