VIDEO: जब शिक्षक से लिपटकर फूट-फूट रोने लगी छात्राएं, शिक्षक की विदाई पर शिक्षक के साथ गांववाले भी रोये, पूरे गांव में निकली रैली

By :  Aditya
Update: 2024-09-10 16:07 GMT

Teacher News। छात्रों के लिए शिक्षा से बड़ा “धन” जैसे कुछ नहीं हो सकता, उसी तरह से एक शिक्षक के लिए “सम्मान” से बड़ी कोई कमाई नहीं हो सकती। लेकिन, आज के वक्त में चंद ऐसे शिक्षकों को ही वो सम्मान मिल पाता है, जिसके लिए शिक्षक को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है।


ऐसे वक्त में जब शिक्षक को हटाने के लिए गांववाले आंदोलन तक करने को उतारू हो जाते हैं, स्कूली छात्राएं चक्का जाम करने के लिए उतारू हो जाती है, वैसे में वक्त में किसी शिक्षक के लिए छात्रों का फूट-फूटकर रोना अंदर तक झकझोर जाता है।

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ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के बिलाईगढ़ में देखने को मिला है, जहां एक शिक्षक की रिटायरमेंट के बाद हो रही विदाई पर बच्चे फूट-फूटकर रोये। शिक्षक को अपने छात्रों से कितना लगाव होता है, इसका नजारा बिलाईगढ़ के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गदहाभाठा में देखने को मिला। जहां शिक्षक के रिटायर होने पर स्कूल के छात्रों के साथ शिक्षक भी भावुक हो गए।

उनके विदाई समारोह में छात्र बिलख-बिलख कर रोने लगे और गले लग गए। दरअसल पूरा मामला छत्तीसगढ के बिलाईगढ़ सारंगढ़ जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गदहाभाठा (Teacher Viral Video) का है। जहाँ 16 वर्ष शिक्षक के रूप में सेवा देने के बाद करमुराम टंडन रिटायर हुए।

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अब ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वायरल हो रहे वीडियो में शिक्षक की विदाई पर सभी की आंखें नम है और बच्चे तो फूट-फूटकर रोने लगे। विदाई के दौरान शिक्षक ने पहले सभी शिक्षकों से गले मिलकर विदा ली। इसके बाद स्कूल के बच्चे भी उनके पैर छूने लगे।


लेकिन बच्चों का पूरा हुजूम फफक फफकर रोने लगा। बच्चों को इस तरह रोते देख पहले तो शिक्षक करमूराम ने बच्चों को समझाया, उन्हें रोने से रोका, लेकिन वो खुद ही अपना आंसू नहीं रोक सके।

वो भी बच्चों को रोते देख रोने लगे। बच्चों को शिक्षक और गांव के लोग जितना समझाने की कोशिश कर रहे थे, बच्चे उतना ही ज्यादा रो रहे थे। आज के दौर में जब शिक्षक और बच्चों के बीच आज के दौर में सिर्फ पेशेवर रिश्ता ही रह गया…लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसे नजारे मिलते हैं…जो कहने पर विवश कर देते हैं कि आज भी भी शिक्षक और बच्चों के बीच एक खास रिश्ता होता है… जो ना तो डर की बदौलत हासिल किया जा सकता और ना ही वेतन की बदौलत खरीदा जा सकता है।

कोई बच्चा पैर पकड़कर रो रहा था, तो कोई गले से लिपटकर। बच्चों का ये दुलार देखकर करमुराम टंडन भी बिलख पड़े। वो भी बच्चों के साथ रोने लगे। करमूराम अपने कुशल ब्यवहार और कर्त्तव्य निष्ठा के कारण बच्चों के काफी चहेते थे। अपने कार्यकाल में पूरी मेहनत और लगन के साथ स्कूल के बच्चों के भविष्य संवारने लगे रहे।

इनके मेहनत और लगन का ही परिणाम रहा कि जिस सरकारी स्कूल से लोंगों का मोह भंग हो था। उस सरकारी स्कूल बच्चों की अच्छी खासी तादाद थी। विदाई के वक्त शिक्षक को इस कदर बच्चे घेरकर रो रहे थे, कि बाकी शिक्षकों की भी आंखें डबडबा गयी।

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उधर रिटायर शिक्षक करमूराम भी लगातार रो रहे थे। काफी देर के बाद गांव के बड़े बुजुर्गों ने बच्चों को संभाला और फिर बच्चे अपने चहेते शिक्षक को लेकर रैली के शक्ल में गांव के बाहर तक आये और फिर उन्हें गाड़ी में बिठाकर रवाना किया। अगर बच्चों का बस चलता तो अपने चहेते अध्यापक को कभी जाने ही नहीं देते।

ये वो मार्मिक पल था जिसे देखकर किसी भी आँखे भर आती। ये वीडियो उन लापरवाह शिक्षकों के लिए एक सबक है। शिक्षक करमूराम के ब्यवहार और आचरण से अन्य अध्यापकों को सीख लेनी चाहिए कि अपने पद और प्रतिष्ठा की गरिमा किस तरह से बनायी जाती है।

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